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59 चीनी ऐप बैन के है कई मायने, आसान नहीं होगी चीन के लिए राह

भारत में चाइनीज ऐप बैन होने के बाद चीन के लिए कई परेशानियां खड़ी हो सकती हैं

By Renu YadavEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 02:25 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 02:25 PM (IST)
59 चीनी ऐप बैन के है कई मायने, आसान नहीं होगी चीन के लिए राह
59 चीनी ऐप बैन के है कई मायने, आसान नहीं होगी चीन के लिए राह

सौरभ वर्मा। सीमा पर 20 सैनिकों की शहादत के चंद रोज बाद भारत की तरह से 59 चीनी ऐप्स को बैन कर दिया, और इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच उठाया गया वाजिब कदम करार दिया। लेकिन बात यहीं पर खत्म नहीं हो जाती है। भारत के इस तरह के फैसले के पीछे की कई वजह हैं। दरअसल आज के वक्त में भारत के लिए सिक्योरिटी केवल सीमा तक सीमित नहीं रह गई है और अब युद्ध केवल सीमा पर ही नहीं लड़े जाते हैं। हर देश पारंपरिक युद्ध से पहले टेक्नोलॉजी वॉर गेम, प्रेशर टैक्टिक्स, आर्थिक पाबंदी जैसी चीजों का सहारा लेते हैं।

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भारत ने अपनाया प्रेशर टैक्टिक्स टूल

भारत को मालूम है कि उसके पास इंटरनेट का बड़ा बाजार मौजूद है, जहां बड़ी संख्या में ऐप यूजर्स मौजूद हैं। ऐसे में भारत ने सबसे पहले 59 चीनी ऐप को बैन करने का फैसला लिया। बता दें कि भारतीय ऐप मार्केट में देसी की बजाय चीनी टेक कंपनियों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। अगर ऐप्स बिजनेस की बात करें, तो साल 2019 में भारत के 60 फीसदी मार्केट पर चीनी ऐप्स का कब्जा था। Tiktok ऐप ने अकेले 300 मिलियन से डाउनलोड हासिल किए। वहीं 80 मिलियन के साथ Whatsapp दूसरे पायदान पर है। भारत की टॉप-10 मोस्ट चीन में इंटरनेट सिक्योरिटी लॉ को 1 जून 2017 को लागू किया गया। इसके तहत हर लोकल कंपनी जैसे Tencent, Dahua, technology, Hikvision, SenseTime, ByteDance, Megvii, Huawei और ZTE को चीनी सरकार को डाटा ट्रांसफर करना होता है। मतलब अगर यह कंपनियां भारत में काम करती हैं, तो इन्हें कानून के तरत चीनी सरकार को भारतीय यूजर्स का डाटा उपलब्ध कराना होगा। 

एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी Skynet Sytem सीसीटीवी कैमरे के जरिए साल 2019 में 200 मिलियन लोगों की मॉनिटरिंग की, जो अमेरिकी सर्विलांस से 4 गुना ज्यादा है। वहीं साल 2020 में चीनी सर्विलांस 626 मिलियन तक पहंचने की संभावना है। साल 2018 में चीन में एक नया कानून आया, जिसमें स्मार्टग्लासेस के जरिए फेशियल रिकग्निजिशन सिस्टम लेकर आया, जिसमें हर एक व्यक्ति की मूवमेंट पर नजर रखी जा सकती थी।

साल 2019 में चीनी सरकार बच्चों के इंटरनेट इस्तेमाल को लेकर कानून लेकर आई जिसमें शॉर्ट वीडियो ऐप को कानून के दायरे में लाया गया।से 7 माह का वक्त लगेगा,तो इसे लॉन्ग टर्म बैन के तौर पर समझा जाना चाहिए। साथ ही सरकार के आत्म निर्भर पहल से भी चीनी ऐप के प्रतिबंध को जोड़कर देखा जाना चाहिए। सिसोदिया ने बताया कि चीनी ऐप और उसकी चीजों के प्रतिबंध का साइड इफेक्ट यह होगा कि हमारी कुछ चीजें महंगी हो जाएंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत की मैन्युफैक्चरिंग लागत अगर 50 रुपए हैं, तो भारत की मैन्यूफैक्चरिंग कॉस्ट 200 रुपए है। ऐसे में भारत को शार्ट टर्म के लिए महंगाई के लिए तैयार रहना चाहिए। गोबिंद सिसोदिया की मानें,तो एक बार जब हमारी कंपनी तैयार हो जाएगी, तो इस समस्या से भी छुटकारा मिल जाएगा। 

रिश्तों में जल्द सुधार की उम्मीद नहीं

गोविंद सिसोदिया ने बताया कि चीन के साथ पिछले कुछ वर्षो में डिप्लोमैटिक रिलेशनशिप में सुधार हो रहा था. उसमें निश्चित तौर पर गिरावट देखने को मिलेगी। ऐसे में लॉग टर्म इंपैक्ट देखने को मिलेंगा क्योंकि चीन की मंशा साफ नहीं लग रही है। चीन ने भारतीय सुरक्षा के लिए अहम 4 और 5 फिंगर एरिया में अपने मैप वाले बैनर लगा लिए हैं, जो भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा है। भारत का कहना है कि फिंगर 8 का एरिया एलओसी है। लेकिन चीन उसे मानने से इनकार कर रहा है और फिंगर 4 और फिंगर 5 एरिया पर कब्जा कर लिया है। ऐसे में इसका जल्दी सुधार नहीं देखने को मिल रहा है। 

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