पुराने फोन और लैपटॉप से ऐसे निकालें 'सोना', वैज्ञानिकों ने बताया सुरक्षित और आसान तरीका
E-Waste 5 गुना तेजी से बढ़ रहा है। 2022 में रिकॉर्ड 62 मिलियन टन ई-वेस्ट जेनरेट हुआ था। हालांकि साइंटिस्ट्स ने अब एक स्ट्रॉन्ग सॉल्यूशन डेवलप किया है जिससे सोना निकाला जा सकता है। ये तकनीक मौजूदा प्रैक्टिसेज का क्लीन ऑप्शन ऑफर करती है। फेंके गए डिवाइसेज न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि अरबों डॉलर के रेयर और वैल्यूएबल रिसोर्सेज को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। डिजिटल युग तेजी से बढ़ रहा है और दुनिया एक बड़ी चुनौती का सामना कर रही है। वो है इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट (E-Waste)। AI और इंटरनेट-बेस्ड टेक्नोलॉजीज में तेज प्रगति के कारण, फेंके गए फोन, लैपटॉप और दूसरे डिवाइसेज खतरनाक रफ्तार से जमा हो रहे हैं। UN के ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर (GEM) के मुताबिक, E-Waste रीसाइक्लिंग से 5 गुना तेजी से बढ़ रहा है। 2022 में रिकॉर्ड 62 मिलियन टन ई-वेस्ट जेनरेट हुआ। ये 2010 से 82% की बढ़ोतरी है। 2030 तक ये 32% और बढ़कर 82 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है।
फेंके गए डिवाइसेज न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि अरबों डॉलर के रेयर और वैल्यूएबल रिसोर्सेज का नुकसान भी करते हैं। हैरानी की बात है कि ग्लोबल रेयर अर्थ एलिमेंट डिमांड का सिर्फ 1% ही ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग से पूरा हो रहा है।
हालांकि, साइंटिस्ट्स ने अब एक स्ट्रॉन्ग सॉल्यूशन डेवलप किया है। Nature Sustainability में पब्लिश्ड एक नई, सेफ और सस्टेनेबल तकनीक E-Waste से सोना निकालने के लिए बताई गई है। ये तकनीक मौजूदा प्रैक्टिसेज का क्लीन ऑप्शन ऑफर करती है और स्मॉल-स्केल गोल्ड माइनिंग से जुड़े हेल्थ और पर्यावरणीय रिस्क्स को भी कम कर सकती है।

लेटेस्ट स्टडी के ऑथर्स इस तकनीक पर जानकारी देते हैं। ये कैसे काम करती है:
पहला स्टेप: गोल्ड डिजॉल्यूशन - सोने को पहले ट्राइक्लोरोआइसोसायन्यूरिक एसिड से डिजॉल्व किया जाता है, जिसे हैलाइड कैटलिस्ट से एक्टिवेट किया जाता है ताकि ई-वेस्ट मटेरियल्स से सोना ऑक्सिडाइज हो।
दूसरा स्टेप: गोल्ड बाइंडिंग - एक स्पेशली डेवलप्ड पॉलीसल्फाइड पॉलिमर सॉर्बेंट डिजॉल्व्ड सोने को लीच सॉल्यूशन से सेलेक्टिवली बाइंड करने के लिए यूज किया जाता है।
तीसरा स्टेप: गोल्ड रिकवरी - सोने को हाई प्योरिटी में रिकवर किया जाता है, या तो पॉलिमर को पाइरोलाइज करके या डिपॉलिमराइज करके, जो सोना कैप्चर करता है।
ये नई वैलिडेटेड प्रोसेस E-Waste, नेचुरल ओर्स और बाकी गोल्ड-कंटेनिंग मटेरियल्स पर इफेक्टिव साबित हुई है। ट्रेडिशनल माइनिंग मेथड्स के उलट, ये हार्श केमिकल्स के यूज से बचती है, जिससे ये ज्यादा एनवायरमेंट-फ्रेंडली और सेफ ऑप्शन है। ये तकनीक गोल्ड एक्सट्रैक्शन के लिए सस्टेनेबल सॉल्यूशन प्रेजेंट करती है, जो प्राइमरी और रीसाइक्ल्ड सोर्सेज से ग्रीनर प्रोडक्शन को सपोर्ट करती है। लार्ज-स्केल एप्लिकेशन की स्ट्रॉन्ग पोटेंशियल के साथ, ये फेंके गए इलेक्ट्रॉनिक्स को वैल्यूएबल रिसोर्सेज में बदल देती है, जो रिस्पॉन्सिबल ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देती है।
जैसे-जैसे E-Waste बढ़ रहा है- 1.55 मिलियन 40-टॉन ट्रक्स के बराबर। ये पृथ्वी के इक्वेटर के चारों ओर लाइन बना सकते हैं। ये ब्रेकथ्रू उम्मीद जगाता है। ट्रैश को ट्रेजर में बदलकर ये मेथड ग्लोबल रीसाइक्लिंग इफोर्ट्स और रिसोर्स रिकवरी में जरूरी भूमिका निभा सकता है।

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