ऑफलाइन आधार और QR कोड से लेकर सुरक्षा तक यहां मिलेगा हर सवाल का जवाब
UIDAI का नया क्यूआर कोड आधार यूजर्स क्यूआर कोड स्कैन और वेरिफाई करने की अनुमति देता है जिससे वेरिफिकेशन प्रोसेस पूरा किया जा सके
नई दिल्ली (टेक डेस्क)। यूनीक आइडेंटिफिकेशन ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने वेरिफिकेशन का ऑफलाइन तरीका लॉन्च किया है। इससे बायोमेट्रिक केवाईसी की जरुरत नहीं पड़ेगी। UIDAI का नया क्यूआर कोड आधार यूजर्स क्यूआर कोड स्कैन और वेरिफाई करने की अनुमति देता है जिससे वेरिफिकेशन प्रोसेस पूरा किया जा सके। इससे आधार धारकों को अपना 12 डिजिट का आधार नंबर किसी को बताने की भी जरुरत नहीं होती है। इस क्यूआर कोड तरीके में धारक का नाम, एड्रेस, फोटो और जन्मतिथि शामिल होती है।
शुरुआत में जब आधार इंस्फ्राटक्चर को पेश किया गया था तो इसे केवल UIDAI के सेंट्रल डाटाबेस से बायोमेट्रिक डिटेल्स को वेरिफाई करने के लिए ही वैध माना गया था। इसके फिजिकल कार्ड की कोई मान्यता नहीं थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद UIDAI ने वेरिफिकेशन के लिए क्यूआर कोड को भी वैधता दे दी थी।
जानें ऑफलाइन आधार कैसे करता है काम?
इसके दो तरीके हैं। पहला तरीका आधार कार्ड और ई-आधार है। वहीं, दूसरा तरीका पासवर्ड प्रोटेक्टेड जिप फाइल है जिसमें XML फाइल दी गई होती है। इसे UIDAI की वेबसाइट से डाउनलोड किया जाता है।
1. ई-आधार में दो क्यूआर कोड होते हैं। पहला बड़ा क्यूआर कोड और दूसरा छोटा क्यूआर कोड।
2. बड़ा क्यूआर कोड ई-आधार के ऊपर के हिस्से में होता है। वहीं, छोटा क्यूआर कोड नीचे दिए गए कार्ड में होता है। बड़े क्यूआर कोड में फोटो समेत डेमोग्राफिक डिटेल्स दी गई होती हैं।
3. छोटे क्यूआर कोड में केवल डेमोग्राफिक डिटेल्स दी गई होती हैं। इन दोनों क्यूआर कोड्स को ऑथेंटिकेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
4. वहीं, अगर कोई यूजर XML फाइल वाले तरीके का चुनाव करता है तो उसे वेबसाइट से जिप फाइल डाउनलोड करनी होगी। इसका एक पासवर्ड भी होता है जिसकी जानकारी आपको वेबसाइट से ही मिल जाएगी।
5. डेमोग्राफिक डिटेल्स में धारक का नाम, पता, जन्मतिथि, लिंग, मास्कड आधार नंबर और फोटोग्राफ जैसी जानकारी रहती है।
क्या इससे निजी जानकारी रहेगी सुरक्षित?
1. क्यूआर कोड/ XML फाइल में डेमोग्राफिक डिटेल्स को लेकर प्राइवेसी विकल्प दिए होते हैं।
2. ऑफलाइन क्यूआर कोड और XML फाइल UID डिटेल को डिस्प्ले नहीं करते हैं।
3. ऑथेंटिकेशन के विकल्प के तौर पर यह बेहतर काम करता है।
4. इस नए सिस्टम के जरिए कोई भी धारक अपने मुताबिक अपने निजी जानकारी शेयर कर सकता है। धारक कौन-सी जानकारी शेयर करना चाहता है और कौन-सी नहीं इसका कंट्रोल पूरी तरह से उसके हाथ में होता है।
क्या आधार धारक को सुरक्षा की चिंता करने की जरुरत है?
आधार कार्ड के गलत इस्तेमाल को लेकर हमेशा से ही सवाल उठते आए हैं। लेकिन इनके जवाब नहीं मिले हैं। आईसीटी एक्सपर्ट डेनरिक थॉमस के मुताबिक, “आधार केवल डिजिटल आइडेंटिटी है। इसका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है। क्यूआर कोड को किसी भी आम कोड-रीडर ऐप से रीड किया जा सकता है। इससे डेमोग्राफिक डाटा को चोरी किया जा सकता है।” डिजिटल आइडेंटिटी के अलावा इसका कोई और उद्देश्य नहीं है। जो लोग इन्हें चुराते हैं वो यूजर के डाटा को पेनड्राइव में ट्रांसफर कर बेच सकते हैं।
UIDAI सभी धारकों को ई-आधार हाई क्वालिटी पेपर पर प्रिंट कराने का सुझाव देता है। This may prove to be be a logistical hurdle for those who do not have easy access to high-end printers.
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