ऑनलाइन रिव्यू पढ़कर करते हैं शॉपिंग, तो इस ट्रिक से खुद को बचाएं
फेस्टिव सेल में ढ़ेरों ऑफर्स के साथ मिल रहे प्रॉडक्ट के रिव्यू सच्चे हैं या झूठे या मनगढ़त कैसे पता चलेगा? इसलिए आपकी इस परेशानी को समझते हुए हम कुछ ऐसे ट्रिक्स लेकर आएं हैं, जो आपको सच्चे और मनगढ़ंत रिव्यू में फर्क करना सिखा देंगे
क्या आप भी उन लोगों में शामिल हैं, जो ऑनलाइन रिव्यू देखकर चीजें खरीदते हैं? आज कल सभी इ-कॉमर्स साइट्स एक से बढ़कर एक ऑफर्स के साथ ऑनलाइन सेल लगा रही हैं और इनमें बिक्री के लिए उपलब्ध प्रॉडक्ट्स को आप अगर ऑनलाइन रिव्यू देखकर खरीदते हैं, जरा संभल जाएं। दरअसल एक रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार विभिन्न कंपनियों के प्रॉडक्ट्स से संबंधित 57 प्रतिशत रिव्यू संदेहास्पद होते हैं।
इस रिसर्च फर्म के अनुसार, कंपनियां अपने प्रॉडक्ट्स के पोजिटिव रिव्यू के लिए कमीशन देती हैं। ऐसे में फेस्टिव सेल में ढ़ेरों ऑफर्स के साथ मिल रहे प्रॉडक्ट के रिव्यू सच्चे हैं या झूठे या मनगढ़त कैसे पता चलेगा? इसलिए आपकी इस परेशानी को समझते हुए हम कुछ ऐसे ट्रिक्स लेकर आएं हैं, जो आपको सच्चे और मनगढ़ंत रिव्यू में फर्क करना सिखा देंगे:
1.भाषा को समझें
बहुत उत्साहजनक या नकारात्मक भाषा खतरे की झंडी होती हैं, इस बात को समझें। झूठे रिव्यू में अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर लिखा जाता है, ताकि ऐसे लोगों के रिव्यू को दुनिया भर में फैलाया जा सकें। इसलिए जब भी रिव्यू में ऐसा लिखा देखें “यह अब तक का सबसे बेहतर पलंग है ” वह भी caps में तो, वही रुक जाएं और समझ लें कि मामला गड़बड़ है। इसके साथ ही रिसर्चर ने पाया कि बात जब होटल के रिव्यू लिखने की आती है, तो फेक रिव्यू लिखने वाले फ्लोर या बाथरुम की बात नहीं करते, बल्कि उनका फोकस फेक वेकेशन या बिजनेस ट्रिप के बारे में बताने पर रहता है।
2.शब्दजाल में न फंसे
प्रॉड्क्टस के बारे में नीचे लिखे recommendations के शब्दजाल में न फंसें। जो रिव्यूज प्रॉडक्ट का पूरा नाम, मॉडल नंबर रिपीट करते हैं, वह search engine system का खेल हो सकता है। अगर marketing jargon या बहुत टेक्नीकल शब्दों का प्रयोग हो रहा है तो बहुत संभव है कि वह रिव्यू सही और सच्चा नहीं है,सच्चा लिखने वाले इस प्रकार के शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते।
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3.रिव्यूअर का रिव्यू करें
जो व्यक्ति रिव्यू लिख रहा है, उसका प्रोफाइल आप रिव्यू करें। अगर रिव्यूअर केवल किसी खास कंपनी के लिए अक्सर लिखता है, तो यह एक बहुत बड़ी चेतावनी का संकेत है कि इसमें उसका खुद का भी बिजनेस या पर्सनल इंटरैस्ट है। कुछ साइट्स खरीदारों को खरीदें गए आइटम की तस्वीरें अपलोड करने देती हैं, यह बात विश्वसनीयता कायम करने में मदद करती है।
4.डिटेल्स पर ध्यान दें 5.खुद पर विश्वास न करें ऑनलाइन रिव्यू लिखने के लिए जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है, वह आपको पढ़ने में साधारण लग सकती हैं लेकिन Cornell University की रिसर्चर टीम ने बताया कि एक कंप्यूटर प्रोग्राम के द्वारा उन्होंने लैंग्वेज को एनालाइज किया और पाया कि 90 प्रतिशत रिव्यू संदेहास्पद थे।
अगर आप खुद किसी प्रॉडक्ट को लेकर किसी बुरे अनुभव से गुजरे हैं, तो आप शायद सही तरह से बता सकेंगे कि वह बुरा क्यों था। आप साइट पर उपलब्ध और यूजर्स के रिव्यू को ध्यान से पढ़ें कि वह उस खास प्रॉडक्ट को क्यों नहीं पसंद करते। जैसे किसी ने लिखा कि- ‘’अरे, बस इसकी बैटरी चार घंटे चलती है,’’ इस बात की जगह अगर किसी ने लिखा है कि- ‘’मुझे इस लैपटॉप से नफरत है, यह बहुत बुरा है।‘’ यह शिकायत ज्यादा सच्ची है।