Move to Jagran APP

हर साल स्मार्टफोन बदलना है कितना सही? जानें यहां

क्या आपने कभी ये सोचा है कि हर वर्ष स्मार्टफोन बदलना कितना सही है और स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों ने आपकी इस अपग्रेडेशन का कैसे फायदा उठाया है

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 28 Nov 2019 01:03 PM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 01:03 PM (IST)
हर साल स्मार्टफोन बदलना है कितना सही? जानें यहां
हर साल स्मार्टफोन बदलना है कितना सही? जानें यहां

नई दिल्ली, शिल्पा श्रीवास्तवा। कार, घर, सोफा, फ्रिज, टीवी आदि को आप कितने समय इस्तेमाल करने के बाद बदलना पसंद करते हैं? शायद 6 या 7 साल बाद या फिर आप इन्हें तब तक इस्तेमाल करते हैं जब तक सामान खराब न हो जाए। लेकिन अगर हम बात करें स्मार्टफोन की, तब आपका जवाब क्या होगा? एक साल या दो साल। हम में से कई लोगों का जवाब यही होगा। इसके कई कारण हैं लेकिन इनमें से सबसे बड़ा कारण है शौक। अगर आप किसी भी फोन को इस्तेमाल करने के एक साल बाद बदलते हैं तो इसे आप अपना शौक ही कहेंगे। क्योंकि कई लोग फोन पर ज्यादा पैसा खर्चना सही नहीं समझते हैं। एक बार फोन खरीद कर वो कम से कम दो या तीन साल इस्तेमाल करते हैं।

loksabha election banner

क्या आपने कभी ये सोचा है कि हर वर्ष स्मार्टफोन बदलना कितना सही है और स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों ने आपकी इस अपग्रेडेशन का कैसे फायदा उठाया है? अगर आप इन सभी सवालों के जवाब नहीं जानते हैं और जानना चाहते हैं तो आज का ये लेख सिर्फ आपके लिए है। सबसे पहले जानते हैं कि एक स्मार्टफोन की शेल्फ लाइफ फोन निर्माता कंपनी के मुताबिक कितनी होती है।

फोन निर्माता कंपनी के लिए क्या है एक स्मार्टफोन की शेल्फ लाइफ: इंडिपेंडेंट टेक्नोलॉजी जर्नलिस्ट अभिषेक बक्सी के मुताबिक, “कंपनियों के लिए भारत में एक स्मार्टफोन की लाइफ 9 महीने होती है जो की ट्रैडिशनली 18 महीने की होती थी। अगर Xiaomi की बात करें तो उनके लिए स्मार्टफोन की शेल्फ लाइफ 9 महीने की है। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो कंपनी की Note सीरीज की लाइफ लगभग 9 महीने की है जो कि काफी निराशाजनक है। इससे पहले स्मार्टफोन मार्केट वार्षिक तौर पर काम करती थी। लेकिन भारतीय मार्केट में कंपनियों के बीच कर रहे कॉम्पटीशन के चलते इन साइकल को कम किया गया। माइक्रोमैक्स समेत बाकी के OEMs ने Samsung को टक्कर देने के लिए एक वर्ष में क्विक लॉन्चेज शुरू किए। उन्हें लगता था कि इससे वो ज्यादा रेवन्यू प्राप्त कर पाएंगे या यूजर्स को अपनी तरफ आकर्षित कर पाएंगे। उस समय माइक्रोमैक्स 30 डिवाइस एक वर्ष में लॉन्च करती थी। हालांकि, उनका टारगेट 50 स्मार्टफोन लॉन्च का था। यही स्ट्रैटजी Xiaomi ने भी अपनाई है और बाकी की कंपनियों ने भी इस स्ट्रैटजी पर काम करना शुरू किया।”

क्या स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां उठाती हैं फायदा: टेक कंपनियां इस बात को अच्छी तरह समझती हैं कि अगर यूजर को एक के बाद एक अच्छी तकनीक या अपग्रेडेड डिवाइस दी गई तो वो इसे जरूर खरीदेंगे और इससे कंपनियों को अपार फायदा होगा। आपने देखा होगा कि कंपनियां एक के बाद एक फोन लॉन्च करती हैं और 2 या 3 वर्ष पुराने मॉडल्स को अपग्रेड देना बंद कर देती हैं। जब यूजर को फोन में अपग्रेड मिलना बंद हो जाता है तो उन्हें मजबूरी में नया फोन खरीदना पड़ता है। लेकिन इसके बावजूद भी क्या आपका हर वर्ष फोन बदलना सही है?

आखिर क्यों फोन निर्माता कंपनियां एक वर्ष में सीरीज ऑफ स्मार्टफोन लॉन्च करती हैं? इस पर अभिषेक बक्सी का कहना है कि स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां मार्केट में कॉम्पिटीशन जारी रखने और इसमें बने रहने के लिए एक वर्ष में कई फोन्स लॉन्च करती हैं। इसका एक बड़ा कारण है दिवाली या फेस्टिव सेल। इस दौरान यूजर्स नया स्मार्टफोन खरीदना पसंद करते हैं। इससे कंपनियों को ज्यादा फायदा होता है। क्योंकि Xiaomi जैसी कंपनियां कम कीमत में ज्यादा फीचर्स वाला फोन लॉन्च करने में विश्वास रखती हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि बजट स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाला यूजर एक वर्ष तक फोन इस्तेमाल कर दूसरा फोन खरीद सकता है। वहीं, iPhone जैसी कंपनी एक साल में एक ही बार फोन लॉन्च करती है। क्योंकि एक बार महंगा फोन खरीदकर यूजर्स तब तक फोन बदलना नहीं चाहते हैं जब तक वो आउटडेटेड न हो जाए। महंगा फोन जल्दी बदलने का एक कारण शौक भी हो सकता है।

अभिषेक बक्शी ने यह भी बताया कि अगर कोई भी फोन 2 साल से पहले बदलने की जरूरत पड़ती है तो उसे एक बेहतर स्मार्टफोन नहीं कहा जा सकता है। एक स्मार्टफोन फीचर्स या परफॉर्मेंस के आधार पर तभी अच्छा साबित हो सकता है जब उसे बिना किसी परेशानी के 2 वर्ष या उससे ज्यादा इस्तेमाल किया जाए।

क्या आपका हर वर्ष स्मार्टफोन बदलना सही है? अगर हमसे पूछा जाए तो नहीं। इसका एक बड़ा कारण है हर वर्ष नया स्मार्टफोन खरीदना आपका बजट बिगाड़ सकता है और देखा जाए तो कंपनी किसी भी स्मार्टफोन के सक्सेसर फोन में इतना अपग्रेड भी नहीं करती है जिसके लिए ज्यादा पैसे खर्च किए जाएं। किसी भी यूजर को फोन तब ही बदलना चाहिए जब जरूरत हो। यानी या तो आपका फोन खराब होने लगे या फिर उसे भविष्य में सॉफ्टवेयर अपग्रेड करने वाली लिस्ट से हटा दिया गया हो।

स्मार्टफोन की जरूरत और शौक के बीच का फर्क: आज हमें यह समझना बेहद जरूरी है कि क्या हमें फोन बदलने की जरूरत है या फिर स्मार्टफोन बदलने का शौक। अगर यह जरूरत है तो स्मार्टफोन में इनवेस्ट करना बुरा विकल्प नहीं है। क्योंकि कई बार स्मार्टफोन पुराना होने की वजह कई ऐसे फीचर्स से मात खा जाता है जिनकी हमें बेहद जरूरत होती है। तकनीक भी काफी तेजी से बदल रही है। लेकिन अगर एक के बाद एक लॉन्च हुए स्मार्टफोन्स की तुलना की जाए तो उनके लिए ज्यादा पैसे खर्चना लाभदायक सिद्ध नहीं होगा। इनमें बहुत कम अंतर होता है। आमतौर पर देखा जाए तो किसी भी फोन के कलर, फॉन्ट, साइज आदि को बदल देना ही अपग्रेड फोन की निशानी नहीं होती है। ऐसे में जब तक आप अपने फोन के फीचर्स और परफॉर्मेंस से संतुष्ट हैं तब तक आपको फोन बदलने की की जरूरत नहीं है। क्योंकि एक स्मार्टफोन के होते हुए दूसरे फोन के लिए पैसे खर्चना कभी भी सही कदम नहीं है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.