ISRO के 50 बेमिसाल साल, Mission Mangal, Chandrayaan 2 समेत कई उपलब्धियां
आज ISRO का लोहा दुनिया की सबसे बड़ी रिसर्च आर्गेनाइजेशन NASA (नासा) भी मानने लगी है।
नई दिल्ली, टेक डेस्क। ISRO (इसरो) यानी Indian Space Research Organisation ने कल यानी 15 अगस्त को अपने 50 साल पूरे किए हैं। भारतीय स्पेस रिचर्स ऑर्गेनाइजेशन के नाम Mission Mangal, Chandrayaan समेत कई उपलब्धियां दर्ज हैं। 15 अगस्त 1969 को स्थापित हुई इस स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन ने भारत को न सिर्फ बड़े-बड़े रॉकेट्स दिए हैं, बल्कि भारत को अंतरिक्ष और फ्यूचर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दुनिया के बड़े-बड़े देशों के समकक्ष खड़ा कर दिया है। आज इसरो का लोहा दुनिया की सबसे बड़ी रिसर्च आर्गेनाइजेशन NASA (नासा) भी मानने लगी है।
मंगल मिशन
ISRO के मंगल मिशन (Mars Orbiter Mission) की बात करें तो 24 सितंबर 2014 को इसरो के स्पेसक्राफ्ट ने मंगल ग्रह की कक्षा में कदम रखा था। यही नहीं, भारत और ISRO के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज है कि, ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी देश ने पहले अटेम्प्ट में ही मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक कदम रखा था। ISRO दुनिया की चौथी ऐसी स्पेस एजेंसी है, जिसने मंगल ग्रह की कक्षा में एंट्री की है, यही नहीं ये एशिया की पहली ऐसी स्पेस रिसर्च एजेंसी है जिसने मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक कदम रखा हो।
ISRO के मंगल मिशन के लिए PSLV का इस्तेमाल किया गया था, जिसे आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा से 5 नवंबर 2013 को लॉन्च किया गया था। लॉन्च के महज 20 दिन के बाद ही सैटेलाइट ने धरती की कक्षा को सफलतापूर्वक पार किया। 24 सिंतबर 2014 को PSLV ने मंगल की कक्षा में प्रवेश करने के साथ ही एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया। आज तक ISRO के अलावा कोई भी स्पेस एजेंसी पहले अटेम्प्ट में मंगल की कक्षा में नहीं पहुंच पाई थी।
Chandrayaan 2
Chandrayaan 2 को इस साल 22 जुलाई को ISRO ने चन्द्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए छोड़ा है। इसके साथ भी भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन गया है जिसने चांद की सतह पर लैंडिंग करने के लिए मिशन शुरू किया है। इसके चांद की सतह पर दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने के साथ ही भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। इससे पहले किसी भी देश ने चांद के इस हिस्से पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं की थी।
चंद्रयान 1 ने चांद की सतह पर पानी होने के बारे में पता लगाया था। चंद्रयान 2 को चांद की सतह पर उसके मिट्टी का परीक्षण करके जानकारी इकट्ठा करेगा, जिससे चांद के वातावरण समेत कई चीजों का पता लग सकेगा। चंद्रयान 2 को तीन हिस्सों में बांटा गया है। इसे GSLV Mk- III लॉन्च पैड से छोड़ा गया है। इसके पहले भाग को ऑर्बिटर कहते हैं जो इसे धरती की कक्षा से बाहर भेजता है। इसके अलावा इसमें एक विक्रम लैंडर है जो चांद की सतह पर इसे लैंड कराने में मदद करेगा। इसके अलाव इसमें एक प्रज्ञान रोवर दिया गया है जो इसे चांद की सतह पर इसे चलने में मदद करेगा। मंगलयान, चंद्रयान, चंद्रयान 2 समेत कई ऐसी बड़ी उपलब्धियां ISRO के खाते में दर्ज है जो इसे दुनिया की बड़ी स्पेस रिसर्च एजेंसी के समकक्ष लाकर खड़ा कर देती है।