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Vastu Tips: परिश्रम के बाद भी परिवार में है आर्थिक तंगी, तो हो सकते हैं ये कारण

Vastu Tips वास्तुकार संजय कुड़ी के मुताबिक व्यापार में घाटा होना कर्ज के बोझ तले दबना आमदनी से अधिक खर्चा होना इत्यादि घर में वास्तु दोष की ओर इशारा करते हैं।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 10:00 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 11:37 AM (IST)
Vastu Tips: परिश्रम के बाद भी परिवार में है आर्थिक तंगी, तो हो सकते हैं ये कारण
Vastu Tips: परिश्रम के बाद भी परिवार में है आर्थिक तंगी, तो हो सकते हैं ये कारण

Vastu Tips: आज से ही नहीं, सदियों से वास्तु एक बड़ी विधा रही है। इस शिक्षा से जुड़े लोगों का कहना है कि हम जहां रह रहे होते हैं और जहां काम कर रहे होते हैं, वहां का वास्तुशिल्प हमारे साथ होने वाली लगभग सभी घटनाओं को प्रभावित करता है। यही कारण है कि कड़ी मेहनत और ईमानदारी से काम करने के बावजूद अगर आपको धन की कमी से जूझना पड़ रहा है तो इसके लिए आपके घर में उपस्थित वास्तु के दोष जिम्मेदार मानकर चला जाता है।

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वास्तुकार संजय कुड़ी के मुताबिक, व्यापार में घाटा होना, कर्ज के बोझ तले दबना, आमदनी से अधिक खर्चा होना इत्यादि घर में वास्तु दोष की ओर इशारा करते हैं। वास्तु सम्मत घर आपको इन सभी समस्याओं से दूर रखता है। इससे बचने के कुछ उपाय भी हैं।

पश्चिम दिशा का वास्तु

आप जहां भी पैसा लगाते हैं, वह डूब जाता है या उससे आपको कभी लाभ नहीं मिलता है तो इस बात की प्रबल सम्भावना है कि घर की पश्चिम दिशा वास्तु दोष युक्त है। पश्चिम दिशा में टॉयलेट का निर्माण, डस्टबिन का रखा होना, वाशिंग मशीन की उपस्थिति या किसी प्रकार का गड्ढा इसे दोषयुक्त बनाता है। पश्चिम दिशा को वास्तु सम्मत बनाने के लिए यहां पर बेडरूम, अध्ययन कक्ष या फिर ऑफिस का निर्माण किया जा सकता है।

दक्षिण-पूर्व का वास्तु

जहां पश्चिम दिशा लाभ की दिशा है, तो वही दक्षिण-पूर्व यानी कि आग्नेय कोण सकारात्मक धन प्रवाह की दिशा है। इस दिशा में किचन के निर्माण से घर में निरंतर धन का आगमन बना रहता है। यह दिशा अग्नि से सम्बंधित है, इसलिए यहां पर अंडरग्राउंड वाटर टैंक या सेप्टिक टैंक नहीं बनवाना चाहिए।

उत्तर-पूर्व का वास्तु

उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण के रूप में भी जाना जाता है। इस दिशा को वास्तु में बेहद पवित्र माना गया है। पूरे घर में यही एक दिशा है, जो अगर बढ़ी हुई हो तो यह प्रचुरता से आर्थिक सम्पन्नता प्रदान करती है। इस दिशा को हमेशा साफ़-सुथरा रखा जाना चाहिए। यहां पर आप अतिथि कक्ष का निर्माण कर सकते हैं। भूमिगत जलाशय के निर्माण लिए भी यह सर्वोतम दिशा है|

दक्षिण-पश्चिम का वास्तु

दक्षिण-पश्चिम दिशा जिसे नैऋत्य भी कहा जाता है, पृथ्वी तत्व से सम्बंधित होने के कारण यह व्यक्ति के जीवन को स्थायित्व प्रदान करती है। नैऋत्य दिशा का कटा हुआ होना या फिर यहां पर मुख्य द्वार का निर्माण एक गंभीर वास्तु दोष माना जाता है जिससे बचा जाना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस दिशा में मास्टर बेडरूम का निर्माण करना शुभ होता है क्योंकि इससे जीवन में स्थायित्व आता है।


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