Vastu Tips for Debt Relief: कर्जा चुकाते-चुकाते हो गए हैं परेशान तो ये वास्तु टिप्स आपको कर्जे से दिलाएंगे मुक्ति
Vastu Tips for Debt Relief हम सभी की जिंदगी परेशानियों से भरी है। हर किसी की परेशानी की वजह भी अलग है। किसी को बेटी की शादी की चिंता है तो किसी सिर पर ज्यादा उधार चढ़ जाने की।
Vastu Tips for Debt Relief: हम सभी की जिंदगी परेशानियों से भरी है। हर किसी की परेशानी की वजह भी अलग है। किसी को बेटी की शादी की चिंता है तो किसी सिर पर ज्यादा उधार चढ़ जाने की। इन सभी में एक परेशानी का नाम कर्ज भी है। वर्तमान की बात की जाए तो हम जो भी कार्य करते हैं उसके लिए बैंक से ऋण लेना ही पड़ता है। कर्ज लेने का सीधा सम्बन्ध व्यक्ति की आर्थिक स्थिति से होता है। सामान्यतः कर्ज वही व्यक्ति लेता है जिसकी आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा मजबूत नहीं होती है। कई बार व्यक्ति अपने सिर पर चढ़ें कर्जे को खत्म करने की कोशिश करता है लेकिन फिर भी कर्ज खत्म नहीं हो पाता है। जीवन बीत जाता है कर्ज चुकाते-चुकाते, लेकिन कर्ज खत्म नहीं होता है। वास्तु सिद्धान्तों के अनुरूप अगर आपका मकान या दुकान नहीं है तो निश्चित ही आपके लिए कर्ज वा ऋण से मुक्ति पाना कठिन साबित होगा। तो आइए ज्योतिषाचार्य पं. दयानंद शास्त्री से वास्तु से जुड़े कुछ सुझाव जानते हैं जिनसे निश्चित ही कर्ज से मुक्ति पाई जा सकती है।
वास्तु का यह उपाय कर्ज से दिलाएगा मुक्ति:
आपके मकान की दक्षिण दिशा की दीवार उत्तर दिशा की दीवार से ऊंची होना चाहिए। अगर किसी कारणवश ऐसा नहीं है तो आपके घर पैसा आएगा तो जरूर लेकिन पैसा बच नहीं पाएगा। साथ ही ऋण की अदायगी भी हो नहीं पाएगी। अगर उत्तर दिशा में ऊची दीवार बनी है तो उसे छोटा करा दें। दक्षिण में ऊंची दीवार बना दें। उत्तर तथा पूर्व दिशा की ओर ढलान जितनी ज्यादा होगी आपकी संपत्ति में उतनी ही ज्यादा वृद्धि होगी। वहीं, अगर कर्ज से ज्यादा ही परेशान हैं तो ईशान दिशा की तरफ ढलान करा दें कर्जे से मुक्ति मिल जाएगी।
यदि आपके मकान के दक्षिण-पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा में भूमिगत टैंक, कुआं या नल है तो धन हानि होगी ही होगी। अगर आप घर में ऐसा है तो तुरंत ही इन्हें हटवा दें और उत्तर-पूर्व भाग में भूमिगत टैंक या टंकी बनवा दें। भूमिगत टैंक कम से कम 2 से 3 फीट तक गहरा होना चाहिए। अगर आप कोई भूखंड खरीद रहे हैं तो ध्यान रखें कि दो भवनों के बीच घिरा हुआ भवन या भारी भवनों के बीच दबा हुआ भूखण्ड न खरीदें। यह गरीबी की ओर इशारा करता है।
पूर्व तथा उत्तर दिशा हमेशा हल्की होनी चाहिए। मकान का मध्य भाग एकदम खाली होना चाहिए। इसमें कोई भारी सामान नहीं होना चाहिए। साथ ही अंडर ग्राउंड टैंक आदि यहां न बनवाएं। अगर ऐसा होता है तो कभी भी आपको कर्ज से मुक्ति नहीं मिलेगी। मध्य स्थान एखदम साफ रखा जाना चाहिए। इसे हमेशा ही छोड़ा ऊंचा रखें। यहां तुलसी का पौधा लगाएं। मकान की उत्तर व दक्षिण की दीवार बिलकुल सीधी होनी चाहिए। कोई भी कोना कटा हुआ नहीं होना चाहिए। अगर शीशा दक्षिण वा पश्चिम दिशा में स्थित है तो यह स्थिति कर्ज का सूचक होती है। अतः दर्पण उत्तर या पूर्व की दीवार पर या उत्तर-पूर्व दिशा के दीवार पर लगा होना चाहिए।
दर्पण स्वच्छ, हल्का और बड़ा होना चाहिए। यह लाभदायक सिद्ध होता है। इससे कर्ज खत्म हो जाता है और व्यापार में वृद्धि होती है। घर के दरवाजे उत्तर-पूर्व दिशा में होने से मानसिक शांति तथा व्यापार में वृद्धि होती है। मकान की सीढ़ियां कभी भी पूर्व या उत्तर की दीवार से सटाकर न बनवाएं। सीढ़ियां दक्षिण तथा पश्चिम दिशा में बनवानी चाहिए। सीढ़ी हमेशा क्लाक वाइज दिशा में ही बढ़नी चाहिए। सीढ़ी की पहली पेड़ी मुख्य द्वार से दिखाई न दें। इससे धन हानि होती है।
पूजा घर ईशान कोण, उत्तर या पूर्व दिशा में ही बनाना चाहिए। पूजा घर के अग्निकोण में धूप दीप जलाना चाहिए। अगर मंदिर लकड़ी का है तो इसे दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए। घर में टूटी हुई खाट, टूटे बर्तन न हों। टूटे-फूटे बर्तनों में भोजन नहीं करना चाहिए। इससे कर्जा बढ़ता है। अगर आपके मुख्य द्वार या भवन के सामने कोई पेड़, टेलीफोन, बिजली का खम्भा है या उसकी परछाई पड़ रही है तो इसे शीघ्र ही दूर कर दें। इस तरह की चीजें घर में लक्ष्मी नहीं आती है।
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