सनातन धर्म में ईश्वर को पाने के लिए सरल मार्ग भक्ति बताया गया है। इसके लिए विशेष प्रयोजन की आवश्यकता नहीं पड़ती है। साधक महज पूजा-पाठ और सुमरन कर ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। साधक अपनी सुविधानुसार ईश्वर की भक्ति करते हैं। कई लोग मंदिर जाकर मत्था टेककर ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। कई लोग घर पर ही ईश्वर की पूजा-भक्ति कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। वास्तु के अनुसार, पूजा घर के न होने पर साधक को पूजा-भक्ति का पूर्ण आशीर्वाद नहीं प्राप्त हो पाता है। अगर आप ईश्वर की कृपा पाना चाहते हैं, तो पूजा घर में वास्तु के इन नियमों का पालन जरूर करें। आइए जानते हैं-
-पूजा गृह के मुख्य द्वार पर लोहे या टिन का दरवाजा नहीं होना चाहिए।
-अगर आप गृह प्रवेश कर रहे हैं, तो शारदीय नवरात्रि में दुर्गा माता के मंदिर की स्थापना करें। वास्तु में यह अति शुभ माना जाता है। इससे साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
-वास्तु जानकारों की घर में बड़ी पत्थर की मूर्ति स्थापित नहीं करनी चाहिए। इससे गृह स्वामी को संतान की प्राप्ति नहीं होती है। इसके लिए बड़ी मूर्ति को भी पूजा स्थान पर ही स्थापित करें।
-वास्तु के अनुसार, घर में शौचालय या नहाने वाले रुम के ऊपर आ नीचे पूजा घर बिल्कुल न बनाएं।
-वास्तु में सोने वाले कमरे में पूजा घर बनाने की मनाही है। अतः सोने वाले कमरे में मंदिर न बनाएं ।
-घर में दो शंख, सूर्यदेव की दो प्रतिमा, तीन देवी की प्रतिमा, दो शिवलिंग न रखें। शास्त्र में ऐसा करने की मनाही है। इससे घर में नकारात्मक शक्ति का आगमन होता है।
-पूजा घर में कुल देवता या कुल देवी की पूजा अवश्य करें। इसके लिए पूजा घर में कुलदेवता की चित्र अवश्य लगाएं। रोजाना कुल देवता की पूजा कर उनसे सुख, समृद्धि और शांति की कामना करें। कुलदेवता की चित्र उत्तर या पूर्व दिशा में लगाएं।

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