जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है
सफलता पाने के लिए हमें खुद से सही सवाल पूछने होंगे, तभी हम सही उत्तर पा सकेंगे...-संजू, अगर मैं तुम्हें दो रुपये दूं, थोड़ी देर बाद फिर दो रुपये दूं तो तुम्हारी जेब में कितने रुपये होंगे?
सफलता पाने के लिए हमें खुद से सही सवाल पूछने होंगे, तभी हम सही उत्तर पा सकेंगे...-संजू, अगर मैं तुम्हें दो रुपये दूं, थोड़ी देर बाद फिर दो रुपये दूं तो तुम्हारी जेब में कितने रुपये होंगे?
संजू ने कहा -मैडम जी, पांच रुपये।
-बेटा, जब मैं तुम्हें दो रुपये दे रही हूं, फिर दो रुपये और दे रही हूं, तो गिनती में गड़बड़ी क्यों कर रहे हो?
-'मैडम जी, मेरी जेब में पहले से जो एक रुपया पड़ा है, उसे जोड़कर तो पांच रुपये ही हुए न!
जब हम सवाल पूछने में गलती करते हैं, तो हमें जवाब कैसे सही मिल सकता है? मैडम को संजू से पूछना चाहिए था कि मैंने तुम्हें दो रुपये दिए, फिर दो रुपये दिए तो बताओ, मैंने तुम्हें कितने रुपये दिए? तब संजू चार रुपये ही कहता, लेकिन मैडम पूछ रही थीं कि तुम्हारी जेब में कितने रुपये हुए?
सच यही है कि हम जिंदगी से जिन सवालों के सही जवाब की उम्मीद करते हैं, उनके सवाल ही गलत पूछते हैं। जिस मैडम ने संजू से ये सवाल पूछे थे, उन्होंने खुद एक दिन कक्षा में बताया था कि उन्हें तो एक्टर बनना था, मजबूरी में टीचर बनना पड़ा। संजू को पता नहीं चला कि गणित वाली टीचर एक्टर बनने की जगह क्यों और कैसे टीचर बन गईं, पर इतना तो उसे उसी दिन पता चल गया था कि ये मैडम अपनी बाकी जिंदगी में भी गलत सवालों के सही हल ढूंढ़ती रह जाएंगी।
हम अक्सर खुद से खुद के लिए गलत सवाल-जवाब कर बैठते हैं। हम समझ नहीं पाते कि हम जो जवाब चाहते हैं, उसके लिए सवाल कैसे होने चाहिए? मसलन, अगर कोई एक्टर बनना चाहता है और वह नहीं बन पा रहा, तो इसका मतलब यह हुआ कि उसने अपने आप से कभी यह पूछा ही नहीं कि आखिर उसकी चाहत में कमी कहां रह गई? क्यों उसे वह मौका नहीं मिल सका, जो उसे मिलना चाहिए था? एक इंटरव्यू में अभिनेत्री विद्या बालन ने कहा था कि वह एक्टर के सिवा कुछ और नहीं बनना चाहती थीं। उन्होंने बताया था कि कैसे एक मोटी-सी मिडल क्लास सामान्य लड़की ने खुद से सवाल पूछा था कि क्या वह एक्टर बन पाएगी? और उसे जवाब मिला था कि आदमी अगर चाह ले, तो क्या नहीं कर सकता। उन्होंने खुद से सवाल किया कि क्या वह फिल्मों में जा सकती है? जवाब मिला- हां, वजन कम करो, दृढ़ संकल्प बनो, मेहनत करो। और विद्या को फिल्म में हीरोइन का रोल मिल गया।
विद्या ने कहा था कि सफलता की पहली सीढ़ी वे सवाल हैं, जिन्हें आप खुद से पूछते हैं। अगर आपका सवाल ठीक है, तो जिंदगी जवाब भी
ठीक देती है। ठीक वैसे ही, जैसे किसी भी मरीज की आधी बीमारी उसी दिन ठीक हो जाती है, जब मर्ज का पता चल जाता है।
बचपन में एक गाना गुनगुनाता था- जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है? बाद में पता चला कि दरअसल यह सवाल ही गलत है। जिंदगी से यह मत पूछिए कि तेरा इरादा क्या है, बल्कि उसे बताइए कि आपका इरादा यह है। अगर पूछना ही हो तो खुद से पूछिए कि मेरा इरादा क्या है? इसके बाद आपका मन जो जवाब देगा, वही जवाब जिंदगी भी आपको देगी।