नई दिल्ली, स्वामी चिदानंद सरस्वती | New Year 2023 Message by Swami Chidananda Saraswati: आधुनिक कहे जाने वाले 21वीं सदी में भी भारतीय संस्कृति व उनकी परंपराओं में बड़ा बदलाव नहीं आया है। वर्तमान समय में भी इनका पालन गंभीरता से किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सनातन संस्कृति सांस्कृतिक मूल्य, सहिष्णुता, शांति, समन्वय, समर्पण, सहअस्तित्व, त्याग और अहिंसा का संदेश देती है। कुछ ऐसा ही संदेश दे रहे हैं जाने माने संत, आध्यात्मिक गुरु और रमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती।

संदेश

भारतीय संस्कृति 'वसुधैव कुटुंबकम’ की संस्कृति है। आत्मज्ञान की संस्कृति है। धर्म, आस्था, सहिष्णुता और सद्भाव की संस्कृति है, जो समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं सामाजिक मूल्यों पर आधारित है। यही भारतीय मूल्य दुनिया को शांति एवं समृद्धि की ओर ले जा सकते हैं। भारत में व्याप्त धार्मिक एवं सांस्कृतिक विविधता विश्वभर से संपर्क बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है। धार्मिक विविधता समाज की परिपक्वता और राष्ट्रीय एकता के आधार के लिए एक वरदान है। अनेकता में एकता, राष्ट्रीय सद्भाव और समरसता की कुंजी है, जो शांति, विकास और समृद्धि में अहम भूमिका निभाती आ रही है। भारत की संस्कृति सदा से ही राष्ट्रहित के लिए समर्पित रही है।

व्यापक फलक पर देखें तो भारतीय संस्कृति जीवन जीने की एक पद्धति है, जो समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व जैसे मूल्यों का आधार है। यह संस्कृति शांतिपूर्ण रूप से अभिव्यक्ति और सामाजिक समरसता में वृद्धि का संदेश देती है। भारतीय संस्कृति सांस्कृतिक मूल्यों, सहिष्णुता, शांति, समन्वय, समर्पण, सहअस्तित्व, त्याग और अहिंसा का संदेश देती है। भारत के विविधताभरे समाज में विकास की अपार संभावनाएं मौजूद हैं, क्योंकि यहां व्याप्त अनेकता और विविधता विकास की ओर ले जाती है। जहां विविधता नहीं होती, वहां सार्थक विकास की कल्पना तक नहीं की जा सकती। इस विविधता की शक्ति को कायम रखना हम सबकी साझी जिम्मेदारी है। तभी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, संस्कार और सामाजिक मूल्य बनाए रखे जा सकते हैं। आइए! इन संकल्पों के साथ नूतन वर्ष का अभिनंदन करें। यही भारतीयता की सच्ची एवं सनातन पहचान है।

Edited By: Shantanoo Mishra