Move to Jagran APP

श्राद्ध आज से, जानिए, क्या है महत्व

इस बार श्राद्ध आज से शुरू होने जा रहे हैं। पूर्णिमा के दिन पहला श्राद्ध होगा व सभी पितरों के लिए किया जाने वाला अमावस्या का श्राद्ध 12 अक्टूबर को होगा। पूर्णिमा तिथि 27 सितंबर को दोपहर बाद शुरू हो जाएगी और 28 को 12 बजे तक रहेगी। श्राद्ध कर्म

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2015 02:42 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2015 09:13 AM (IST)
श्राद्ध आज से, जानिए, क्या है महत्व
श्राद्ध आज से, जानिए, क्या है महत्व

इस बार श्राद्ध आज से शुरू होने जा रहे हैं। पूर्णिमा के दिन पहला श्राद्ध होगा व सभी पितरों के लिए किया जाने वाला अमावस्या का श्राद्ध 12 अक्टूबर को होगा। पूर्णिमा तिथि 27 सितंबर को दोपहर बाद शुरू हो जाएगी और 28 को 12 बजे तक रहेगी। श्राद्ध कर्म दोपहर बाद ही श्रेष्ठ माना गया है इसलिए 27 सितंबर को ही पूर्णिमा का श्राद्ध होगा। जबकि प्रतिपदा का श्राद्ध 28 को होगा प्रतिपदा तिथि क्षय है इसलिए 28 को दोपहर बाद तक ही रहेगी। पितर की मृत्यु तिथि दो दिनों में व्याप्त हो तो जिस दिन तिथि का काल अधिक होता है उसी दिन श्राद्ध किया जाता है। इस वर्ष सभी श्राद्ध क्रमवार होंगे और कोई तिथि क्षय नहीं है।

loksabha election banner

क्या है महत्व

पितरों को याद करके उन्हें श्रद्धानुसार अन्न-जल आदि अर्पित किया जाता है। इस अवसर पर बेटियों-बहनों को आमंत्रित करके उन्हें भोजन सहित दान-दक्षिणा देना पुण्य माना जाता है और अधिकाधिक लोगों को भोजन कराने से भी पितृशांति मिलती है। श्राद्धों के दौरान पूर्वजों के लिए किया गया श्राद्ध उन्हें प्राप्त होता है व बदले में पूर्वज अपनी संतानों को शुभ आशीर्वाद देते हैं।

श्राद्ध और तर्पण का अर्थ

पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए कर्म को श्राद्ध कहते हैं तथा तृप्त करने की क्रिया और देवताओं व पितरों को चावल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं। जिस कर्म से माता पिता और आचार्य तृप्त हो वह तर्पण है। वेदों में श्राद्ध को पितृयज्ञ कहा गया है। यह श्राद्ध.तर्पण हमारे पूर्वजों, माता, पिता के प्रति सम्मान का भाव है।

मांसाहार पूरी तरह होता है वर्जित

श्राद्ध पक्ष में व्यसन और मांसाहार पूरी तरह वर्जित माना गया है। पूर्णत पवित्र रहकर ही श्राद्ध किया जाता है। रात्रि में श्राद्ध नहीं किया जाता। श्राद्ध का समय दोपहर साढ़े बारह बजे से एक बजे के बीच उपयुक्त माना गया है। कौओं, कुत्ताें और गायों के लिए भी अन्न का अंश निकालते हैं, क्योंकि ये सभी जीव यम के काफी नजदीकी माने जाते हैं। श्रद्धा से किए गए श्राद्ध से श्रेष्ठ संतान, आयु, आरोग्य, अतुल ऐश्वर्य और इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति होती है।

कौन सा श्रद्ध कब

तिथि; दिनांक

पूर्णिमा 27 सितंबर- प्रतिपदा

28 सितंबर -द्वितीया

29 सितंबर- तृतीया

30 सितंबर- चतुर्थी

1 अक्टूबर- पंचमी

2 अक्टूबर- षष्ठमी

3 अक्टूबर -सप्तमी

4 अक्टूबर-अष्टमी

5 अक्टूबर -नवमी

6 अक्टूबर- दशमी

7 अक्टूबर -एकादशी

8 अक्टूबर -द्वादशी

9 अक्टूबर-त्र्योदशी

10 अक्टूबर -चतुर्दशी

11 अक्टूबर -अमावस्या

श्राद्ध कई प्रकार के होते हैं

‘श्राद्ध कई प्रकार के होते हैं इनमें एकोदिष्ट श्रद्ध, अनावष्टक श्राद्ध व पार्वण श्राद्ध प्रमुख हैं। एकोदिष्ट श्राद्ध वर्ष में एक बार आने वाली कालतिथि को किया जाता है। सौभाग्वती स्त्रियों का श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाता है व यह अनावष्टक श्राद्ध होता है। पितरों के लिए पार्वण श्राद्ध किया जाता है। श्राद्ध के लिए सात चीजें पवित्र मानी गई हैं इनमें गाय का दूध, शहद, सूत का धागा, दोहेत्र, श्राद्ध का काल, तिल व गंगाजल। इसके अलावा श्राद्ध के अवसर पर यहां पर पितरों के लिए विभिन्न व्यंजन तैयार किए जाते हैं, इसमें प्याज व लहसुन वर्जित होता है।’


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.