श्री सत्य साई बाबा
श्री सत्य साई बाबा का जन्म 23 नवम्बर 1926 को आंध्रप्रदेश के पुटटपर्थी गांव में हुआ था। बचपन में उनका नाम सत्यनारायण राजू था। कहा जाता है कि जब वे हाई स्कूल में पढ़ रहे थे तो उन्हें एक अति विषैले बिच्छु ने काट लिया था और वे कोमा में चले गये थे। कोमा से उठने पर उनका व्यवहार विचित्र सा हो गया था। वे न खाते न पीते बस पुराने श्लोक एवं मंत्रों का उच्चारण करते थे।
श्री सत्य साई बाबा का जन्म 23 नवम्बर 1926 को आंध्रप्रदेश के पुटटपर्थी गांव में हुआ था। बचपन में उनका नाम सत्यनारायण राजू था। कहा जाता है कि जब वे हाई स्कूल में पढ़ रहे थे तो उन्हें एक अति विषैले बिच्छु ने काट लिया था और वे कोमा में चले गये थे। कोमा से उठने पर उनका व्यवहार विचित्र सा हो गया था। वे न खाते न पीते बस पुराने श्लोक एवं मंत्रों का उच्चारण करते थे।
उन्हें साई बाबा का अवतार माना गया है। उनका जन्म शिरडी के साई बाबा के स्वर्ग अरोहण के आठ साल बाद हुआ था।
श्री सत्य साईं बाबा के आश्रम का नाम प्रशांती विलायम है जो कि सन् 1950 में बनकर तैयार हुआ। बाबा अपने भक्तों से सीधे मिलते थे। उन्हे सत्य और आद्यात्म का ज्ञान कराते थे। रोज हजारों की संख्या में भक्तगण उनसे ज्ञान व आशीर्वाद लेने आते थे।
उनके भक्त दुनिया के 178 देशों में है। श्री सत्य साई बाबा का मिशन मानवता, सेवाधर्म तथा ईश्वर भक्ति से ओतप्रोत रहा। सत्य साई बाबा ने हमेशा भक्तों को स्वयं को पहचानने के लिए प्रेरित किया।
24 अप्रैल, 2011 को प्रात: काल पुट्टपर्थी वाले श्री सत्य साईं बाबा का देहावसान हो गया। ऐसा माना जाता है कि शिरडी में साई बाबा आंध्रप्रदेश के श्री सत्य साई बाबा के बाद कर्नाटक में प्रेम साई बाबा का प्रादुर्भाव होगा। जो सच्चे श्रद्धालुओं पर अपनी कृपा सदा बरसाते रहेंगे।
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