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समस्त साधनाओं का लक्ष्य हर परिस्थिति में मन की शांति को बनाए रखना है
हम नीले आकाश को निहारते हैं। विचित्र बात यह है कि हमें दिव्य प्रकाश के बारे में कुछ भी पता नहीं है, फिर भी उसे नीला मान लेते हैं।
Spiritual1 year ago -
जब हम कुछ देख लेते है तो उसे मान लेते है ऐसा क्यों
विपश्यना मनुष्य-जाति के इतिहास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण ध्यान-प्रयोग है। यह ईश्वर के प्रति समर्पण है।
Spiritual1 year ago -
यह दुनिया का सबसे बड़ा सत्य है कि आपसे ज्यादा आपको कोई नहीं समझ सकता है
आप जानते हैं कि किस कारण आपके समक्ष विपरीत परिस्थितियां पैदा हुई हैं और यह भी जानते हैं कि इन परिस्थितियों से कैसे छुटकारा मिल सकता है।
Spiritual1 year ago -
तो इसलिए ईश्वर किसी को दे रहा है और किसी से छीन रहा है
वह कभी कुपात्र की भी झोली भर देता है और कभी सुपात्र को अपनी कृपा से वंचित रखता है। ऐसे बहुत से लोग जिन्हें सब मिला जिसकी उन्हें आशा नहीं रही होगी।
Spiritual1 year ago -
सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि आखिर लक्ष्य को कैसे पाया जा सकता है
स्वयं से पूछें कि क्या मैंने कभी ऐसा कार्य करने का प्रयत्न किया है, जिसे किसी अन्य ने न किया हो? यह सृजनात्मक शक्ति के उपयोग की प्रारंभिक अवस्था है।
Spiritual1 year ago -
जानिए कैसे हुई भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु व कैसे खत्म हुआ पूरा यदुवंश
महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की कहानी को 18 खण्डों में संकलित किया था। युद्ध के पश्चात भी बहुत कुछ ऐसा रह गया जिसके विषय में जानना बहुत जरूरी है।
Spiritual1 year ago -
स्वभाव या आदत व्यक्ति के जन्म के साथ आती है और जीवन भर साथ रहती है
दूसरे का अपमान करने वाला स्वयं ही समाज की नजरों में गिर जाता, कुरुचिपूर्ण स्वभाव से बचें। ऐसे व्यवहार से व्यक्ति अंत में पतन की ओर ही उन्मुख होता है।
Spiritual1 year ago -
सफल होना चाहते हैं, तो स्वयं में लगन और अनुशासन दोनों के बीज बोने होंगे
यदि आप सफल होना चाहते हैं, तो स्वयं में लगन और अनुशासन दोनों के बीज बोने होंगे। कार्य संपन्न करने के लिए मेहनत भी जरूरी है।
Spiritual1 year ago -
समस्त इच्छा पूर्णकारक इस मंत्र से बढ़कर अन्य कोई पवित्र मंत्र पृथ्वी पर नहीं है
इस मंत्र के विधिपूर्वक जाप एवं गायत्री उपासना से अकिंचन भी ज्ञानी-ध्यानी बन सकता है। रोगी रोगमुक्त हो जाता है। निर्धन, धनी बन जीवन के संतापों से मुक्ति पा सकता है।
Spiritual1 year ago -
यदि मनुष्य के हाथ में कुछ होता तो वह मनचाहा जीवन जीने की प्रभुता रखता
संसार में जो भी जिसे मिला है वह महज प्रभुकृपा से ही। वह उतनी ही देर उस पद अथवा सत्ता पर आसीन रह सकता जितनी देर प्रभुकृपा से उसे अवसर प्राप्त हुआ है।
Spiritual1 year ago -
मानवता के सच्चे सेवक श्री गुरु अर्जुन देव
मुरादपुरा में एक कुष्ठ आश्रम स्थापित हो गया। यहां दूर-दूर से कुष्ठ रोगी आते और उनकी सेवा से भले-चंगे होकर लौटते।
Spiritual1 year ago -
जानें, कैसे हुआ भीम व हिडिम्बा का विवाह व घटोत्कच का जन्म
तब युधिष्टिर ने हिडिम्बा से कहा कि तुम प्रतिदिन सूर्यास्त के पूर्व तक पवित्र होकर भीमसेन की सेवा में रह सकती हो। भीमसेन दिनभर तुम्हारे साथ रहेंगे और शाम होते ही मेरे पास आ जाएंगे।
Spiritual1 year ago -
आधी रोटी अच्छी है, कुछ नहीं से
'जब जन साधारण जाग उठेगा तो वह तुम्हारे द्वारा किए गए दमन को समझ जाएगा। और उनके दारुण दुखों की एक आह तुम्हें पूर्णरूपेण नष्ट कर देगी।"
Spiritual1 year ago -
योग्यता का अर्थ धन, पद नहीं, बल्कि त्याग है
मूल्यांकन की इच्छा मानव में निरंतर उपजती रहती है। अनजान व्यक्ति से मिलने पर क्षणभर में पूर्ण जीवनकथा जानने की छटपटाहट बड़ा संकट उत्पन्न करती है।
Spiritual1 year ago -
इस तरह हुआ धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर का जन्म व इनके विवाह
विचित्रवीर्य दोनों रानियों के साथ भोग-विलास में रत हो गये किन्तु दोनों ही रानियों से उनकी कोई सन्तान नहीं हुई, वे क्षय रोग से पीड़ित हो कर मृत्यु को प्राप्त हो गये।
Spiritual1 year ago -
गुरु तेग बहादुर ने अपनी वाणी में जीवन जीने की एक सहज पद्धति प्रस्तुत की है
गुरु तेग बहादुर जयंती पर विशेष, इस अभूतपूर्व बलिदान के कारण ही उन्हें ‘हिंद की चादर - गुरु तेग बहादुर’ कहकर सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है।
Spiritual1 year ago -
धन का मोह व्यक्ति को निष्ठुर बनाता है निष्ठुरता घर-परिवार समाज के लिए घातक है
कर्मकांड में किसी पूजा-पाठ,यज्ञ-अनुष्ठान में पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन-प्रक्रिया को भी माना जाता है।
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भगवान विष्णु ने अपने इस रूप के दर्शन लक्ष्मी जी को करवाए थे
भगवान विष्णु ने अपने विराट स्वरूप के दर्शन लक्ष्मी जी को करवाए थे। हालांकि कि इस बारे में अलग-अलग पुराणों में अलग-अलग जानकारी मिलती है।
Spiritual1 year ago -
आवश्यक है समर्पण
कार्य संपन्न होने पर नमन करें। प्रभु को नमन कर शयन करना, जागने पर नमन करना अर्थात हर कार्य में प्रभु स्मरण में आते रहें- यही धर्मव्रत है, आर्यव्रत है।
Spiritual1 year ago -
सत्कर्म कर उसे भूल जाना चाहिए अन्यथा व्यक्ति अभिमान से बच नहीं सकेगा
बाइबिल में कहा गया है कि अपने दाहिने हाथ से तुम जो कुछ देते हो उसका बाएं हाथ को भी पता नहीं होना चाहिए। ‘नेकी कर दरिया में डाल।’
Spiritual1 year ago