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गौतम बुद्ध के लिए कौन है अस्पृश्य

गौतम बुद्ध के विचारों में कई गूढ़ अर्थ छुपे होते थे। एक कथा के माध्‍यम से जाने बुद्ध का ऐसा ही एक ज्ञानपूर्ण सत्‍य।

By Molly SethEdited By: Published: Fri, 02 Feb 2018 04:28 PM (IST)Updated: Sat, 03 Feb 2018 10:00 AM (IST)
गौतम बुद्ध के लिए कौन है अस्पृश्य
गौतम बुद्ध के लिए कौन है अस्पृश्य
चुप्‍पी का रहस्‍य
एक बार भगवान गौतम बुद्ध को मौन देखकर वहां उपस्थित उनके शिष्यों में से एक ने उनके चुप होने का कारण पूछा। कोई जवाब न पाकर उनसे दोबारा पूछा गया। तभी दूर खड़े एक व्यक्ति ने जोर से कहा, 'आज मुझे आप अपने साथ सभा में बैठने की अनुमति क्यों नहीं दे रहे?' बुद्ध ने इसका भी जवाब नहीं दिया। तभी दूसरे शिष्य ने दूर खड़े व्यक्ति को सभा में बैठाने के लिए गौतम बुद्ध से प्रार्थना की। इस पर गौतम बुद्ध ने कहा, 'वह अस्पृश्य है, उसे अनुमति नहीं दी जा सकती।' 
अस्‍पृश्‍य कौन
ये सुन कर सभी शिष्यगण आश्चर्य में डूब गए। बुद्धदेव उनके मन का भाव समझ गए। बोले, 'हां, वह अस्पृश्य है। आज यह क्रोधित होकर आया है। क्रोध से जीवन की एकता भंग होती है। क्रोधी व्यक्ति मानसिक हिंसा करता है। किसी भी कारण से क्रोध करनेवाला अस्पृश्य होता है। उसे कुछ समय तक पृथक एकांत में खड़े रहना चाहिए। पश्चाताप की अग्नि में तपकर वह समझ लेगा कि अहिंसा ही महान कर्तव्य है-परम धर्म है।' शिष्यगण समझ गए कि अस्पृश्यता क्या है और अस्पृश्य कौन है। उस व्यक्ति को भी पश्चाताप हुआ और उसने फिर कभी क्रोधित न होने की कसम खाई। यानि इस कथा का सार है कि क्रोध सभी पापों का मूल है, पर दृढ़इच्छाशक्ति से इस पर विजय पाई जा सकती है। 
 

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