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अद्वैत के प्रणेता आदि शंकराचार्य (जयंती : 4 मई)

शंकर भगवद्पादाचार्य या आदि शंकराचार्य वेदांत के अद्वैत मत के प्रणेता थे। उनके उपदेश आत्मा और परमात्मा की एकरूपता पर आधारित हैं, जिसके अनुसार परमात्मा एक ही समय में सगुण और निर्गुण दोनों ही स्वरूपों में रहता है। स्मार्त संप्रदाय में आदि शंकराचार्य को शिव का अवतार मान्

By Edited By: Published: Sat, 03 May 2014 02:24 PM (IST)Updated: Sat, 03 May 2014 05:28 PM (IST)
अद्वैत के प्रणेता आदि शंकराचार्य (जयंती : 4 मई)

शंकर भगवद्पादाचार्य या आदि शंकराचार्य वेदांत के अद्वैत मत के प्रणेता थे। उनके उपदेश आत्मा और परमात्मा की एकरूपता पर आधारित हैं, जिसके अनुसार परमात्मा एक ही समय में सगुण और निर्गुण दोनों ही स्वरूपों में रहता है।

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स्मार्त संप्रदाय में आदि शंकराचार्य को शिव का अवतार माना जाता है। उन्होंने ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुंडक, मांडूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय, बृहदारण्यक और छांदोग्योपनिषद् पर भाष्य लिखा। वेदों में लिखे ज्ञान का उन्होंने प्रचार किया और भारत में चारों कोनों पर चार मठों की स्थापना की।


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