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भगवान शिव का अवतार थे बाबा श्रीचंद

पंजाब ऋषि-मुनियों की धरती रही है। इस धरती पर कई महान गुरु व संत हुए हैं। सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी के ज्येष्ठ पुत्र बाबा श्री चंद जी बचपन ही से विश्व भ्रमण करने के लिए घर से निकल पडे़।

By Edited By: Published: Wed, 07 Mar 2012 12:45 PM (IST)Updated: Wed, 07 Mar 2012 12:45 PM (IST)
भगवान शिव का अवतार थे बाबा श्रीचंद

पंजाब ऋषि-मुनियों की धरती रही है। इस धरती पर कई महान गुरु व संत हुए हैं। सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी के ज्येष्ठ पुत्र बाबा श्री चंद जी बचपन ही से विश्व भ्रमण करने के लिए घर से निकल पडे़। बाबा जी के जन्म के समय ही से शरीर पर धूनी की राख लगी थी व एक कान में मांस की मुंदरा थी। बाबा श्रीचंद जी को भगवान शिव का अवतार भी माना जाता है। बाबा श्रीचंद के नाम से बटाला के समीप गांव नानक चक्क भी स्थित है। इस स्थान पर बाबा श्रीचंद जी ने काफी समय व्यतीत किया। यह गद्दी उदासीन अखाड़ा संगल वाला अमृतसर के अधीन है।

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इस गद्दी पर विराजमान महंत तिलक दास ने बताया कि बाबा श्रीचंद जी विश्व भ्रमण करते-करते गांव कोटली कादराबाद पहुंचे। इनके साथ भक्त भाई कमलिया जी भी थे। बाबा श्री चंद जी ने भाई कमलिया जी को भिक्षा मांगने के लिए गांव में भेजा व खुद गांव के बाहर धुनी लगाकर बैठ गए। भाई कमलिया जी पूरे गांव से होकर लौट आए लेकिन किसी भी गांव वासी ने उन्हें भिक्षा नहीं दी, उल्टा कहा कि पता नहीं कहां-कहां से साधु चले आते हैं। तभी बाबा श्रीचंद जी ने पूरे गांव को थेह [नाश] होने का श्राप देकर समीप के गांव चले गए। तब से लेकर लगभग सैंकड़ों वर्षो तक वहां पर कोई भी आदमी अपना घर नहीं बना सका। अगर कोई भी इमारत तैयार करता था तो वह रात्रि के समय ही ढह जाती। फिर वह पास के गांव गए जिसका नाम नानक चक्क पड़ा। वहां पर बाबा जी ने अपनी धुनी लगाई व भाई कमलिया जी को दोबारा भिक्षा मांगने हेतु गांव भेजा। गांव की एक महिला जो कि काफी वृद्घ अवस्था में थी उसके पास अपने खाने हेतु चार रोटियां पड़ी थी उसने वही रोटियां भाई कमलिया जी को दे दी।भाई कमलिया जी रोटियां लेकर बाबा श्रीचंद जी के पास आए व उन्हें पूरी बात बताई, माता भी उनके साथ बाबा जी के दर्शन हेतु वहां पर आ गई।बाबा श्रीचंद जी ने माता से उनका नाम पूछा तो अपना नाम हरोदेवी बताया। श्रीचंद जी ने उन्हें वर दिया माता हरी भरी रहो तो माता ने हाथ जोड़ कर बाबा जी से कहा कि महाराज मेरी वृद्घ अवस्था है व मेरा पति भी परलोक सिधार गया है आपने मुझे यह वर देकर मुझे असमंजस में डाल दिया है।

माता हरो देवी ने श्रीचंद जी से कहा अपने जो गांव कोटली कादराबाद को थेह होने का वर दिया है आप उसे दोबारा आबाद होने का वर दें।

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