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अक्षय तृतीया 2018: बिना पंडितों से पूछे भी कर सकते हैं शुभ कार्य

बुधवार 18 अप्रैल को पड़ रहा है अक्षय तृतीया का पर्व, पंडित दीपक पांडे के अनुसार ये अनपुच्‍छ दिन कहलाता है अर्थात इस दिन शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त का विचार करना जरूरी नहीं है।

By Molly SethEdited By: Published: Mon, 16 Apr 2018 03:10 PM (IST)Updated: Wed, 18 Apr 2018 09:00 AM (IST)
अक्षय तृतीया 2018: बिना पंडितों से पूछे भी कर सकते हैं शुभ कार्य
अक्षय तृतीया 2018: बिना पंडितों से पूछे भी कर सकते हैं शुभ कार्य

 इस दिन ली गई वस्‍तु का कभी क्षय नहीं होता 

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अक्षय तृतीया बुधवार के दिन यानी कि 18 अप्रैल को पड़ रही है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन किये गए दान पुण्य और खरीदी गई वस्तु का कभी क्षय नहीं होता है। पंडितों का कहना है कि अगर महिलाएं अक्षय तृतीया पर वस्त्र सिंगार का सामान अथवा आभूषण आदि महालक्ष्मी पर अर्पण करके पहनती हैं तो उन्हें लक्ष्मी जी जैसा सौभाग्‍य प्राप्त होगा। वैसे किसी भी दिन खरीदी गई किसी भी वस्तु का इस्तेमाल करने से पहले भगवान लक्ष्मी नारायण चढ़ाने से वह वस्तु अक्षय रहती है, परंतु अक्षय तृतीया का विशिष्‍ट महत्‍व माना जाता है। 

दान पुण्‍य का महत्‍व

शास्त्रों के अनुसार इस दिन से सतयुग और त्रेता युग का आरंभ माना जाता है इसलिए इस दिन किया गया दान पुण्य, स्नान, होम, ज्ञान आदि अक्षय हो जाता है। इस दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए, और पापों से मुक्त हो जाना चाहिए। इस दिन स्वर्गीय आत्मा की सांत्‍वना के लिए घड़ी, पंखे, चावल दाल, नमक, चीनी, वस्त्र  और मौसमी फल जैसे ककड़ी, खरबूजे आदि खरीद कर उनका दान करना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का महत्व है। मान्‍यता है कि इस अवसर पर चीनी, चावल, दूध, दही, घी, शहद और चीनी आदि का चांदी या अपनी सामर्थ्य के अनुसार धातु के बर्तन में भगवान कृष्ण के निमित्त दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है

नारायण और लक्ष्‍मी की पूजा

अक्षय तृतीया के दिन पूजा करते समय ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को गौरी मां की पूजा से गरीबी की समाप्ति भी होती है, इसलिए इस दिन श्रद्धा और विश्वास के साथ पार्वती जी का पूजन करें। इसके अलावा अक्षय तृतीया से ही चारों धामों में प्रमुख श्री बद्री नारायण जी के पट खुलते हैं। इस दिन भक्तों को श्री बद्री नारायण जी के चित्र को सिंहासन पर रखकर मिश्री तथा भीगे हुए चने की दाल का भोग लगाना चाहि। साथ ही पूरी श्रद्धा से तुलसी जी की भी पूजा व आरती करनी चाहिए। वृंदावन में साल में केवल इसी दिन श्री बिहारी जी के चरण पादुका के दर्शन भक्तों को मिलते हैं।

अबूक्ष मुहूर्त

यदि आप किसी अन्‍य सामग्री का दान नहीं कर पा रहे तो सिर्फ जल ही दान करा सकते हैं। पुराणों के अनुसार इस दिन किया गया दान पुण्य और खरीददारी का कभी क्षय नहीं होता। कहते हैं आज ही के दिन त्रेता युग का आरंभ हुआ था। भारतीय ज्योतिष में मंगल कार्यों के लिए ये अबूझ मुहूर्त है।  यानि इस दिन विवाह कार्य की शुरुआत, ग्रह प्रवेश, ग्रह आरंभ, के अलावा किसी भी नवीन कार्य की शुरूआत बगैर किसी पंडित और ज्‍योतिष के द्वारा पूछे भी कर सकते हैं। इस दिन शिव मंदिरों में जल से भरा कलश शिवलिंग के ऊपर रखें और खरबूजा चढ़ायें। सौभाग्यवती स्त्रियां माता गौरी की पूजा करें इस दिन लक्ष्मी नारायण को नवीन वस्तु को अर्पित करके ही प्रयोग करें।


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