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भगवान शिव ने इसलिये कर दिया था अपनी सभी प्रिय चीजों का त्‍याग

भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरकथा सुनाने से पहले अपनी सभी प्रिय वस्‍तुयों का त्‍याग कर दिया था। भगवान ने नंदी, चंद्रमा, शेषनाग सहित पंचतत्‍वों का भी परित्‍याग कर दिया था।

By Prabhapunj MishraEdited By: Published: Mon, 24 Jul 2017 04:22 PM (IST)Updated: Mon, 12 Mar 2018 10:37 AM (IST)
भगवान शिव ने इसलिये कर दिया था अपनी सभी प्रिय चीजों का त्‍याग
भगवान शिव ने इसलिये कर दिया था अपनी सभी प्रिय चीजों का त्‍याग

1- भगवान भोले नाथ ने सबसे पहले पहलगाम में अपने वाहन नंदी का परित्याग किया। इसके बाद चंदनबाड़ी में अपनी जटा से चंद्रमा को मुक्त किया। शेषनाग नामक झील पर पहुंच कर उन्होंने गले से सर्पों को भी उतार दिया। फिर श्रीगणेश को भी उन्होंने महागुणस पर्वत पर छोड़ देने का निश्चय किया। अंत में पंचतरणी नामक स्थान पर पहुंच कर भगवान शिव ने पांचों तत्वों का परित्याग किर दिया था।

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2- अमरनाथ की गुफा में प्राकृतिक रूप से शिवलिंग का निर्माण होता है, जिसके कारण इसे खास माना जाता है। इस जगह को बहुत ही पवित्र और सिद्ध स्थान माना जाता है क्योंकि अमरनाथ गुफा को लेकर मान्यता है कि भगवान शिव साक्षात इस गुफा में विराजमान रहते हैं।

 

3- अमरनाथ की गुफा का महत्व सिर्फ इसलिए नहीं है कि यहां बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्माण होता है। इस गुफा का महत्व इसलिए भी है कि इसी गुफा में भगवान शिव ने देवी पार्वती को अमरत्व का मंत्र सुनाया था।

 

4- शास्त्रों के अनुसार माता पार्वती के साथ ही अमरकथा के रहस्य को तोता और दो कबूतरों ने भी सुन लिया था। यह शुक बाद में शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गए। गुफा में आज भी कई श्रद्धालुओं को कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई देता है जिन्हें अमर पक्षी माना जाता है।

 

5- अमरनाथ गुफा के अंदर बनने वाला शिवलिंग पक्की बर्फ का बनता है जबकि गुफा के बाहर मीलों तक सभी जगह कच्ची बर्फ ही देखने को मिलती है। सभी जगह कच्ची बर्फ होने पर भी शिवलिंग पक्की बर्फ का कैसे बनता है। यह आज भी एक रहस्य है।

 

6- श्री अमरनाथ गुफा में देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक स्थापित है। मान्यता है कि यहां देवी सती का कंठ भाग गिरा था। अमरनाथ की गुफा के पास ही स्थापित होने की वजह से इस शक्तिपीठ को बहुत खास माना जाता है।

 

7- इस गुफा की खोज बूटा मलिक नाम के एक मुस्लिम ने की थी। एक दिन भेड़ें चराते-चराते वह बहुत दूर निकल गया। एक जंगल में पहुंचकर उसकी एक साधु से भेंट हो गई। साधु ने बूटा मलिक को कोयले से भरी एक कांगड़ी दे दी। घर पहुंचकर उसने कोयले की जगह सोना पाया तो वह बहुत हैरान हुआ। उसी समय वह साधु का धन्यवाद करने के लिए गया परन्तु वहां साधु को न पाकर एक विशाल गुफा को देखा। उसी दिन से यह स्थान एक तीर्थ बन गया।


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