Move to Jagran APP

क्यों किया जाता है किसी मंत्र का 108 बार जाप

माला कार्यानुसार तुलसी, वैजयंती, रुद्राक्ष, कमल गट्टे, स्फटिक, पुत्रजीवा, अकीक, रत्नादि किसी की हो सकती है। कार्य सिद्धियों अनुसार मालाओं का चयन होता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 18 Apr 2017 02:49 PM (IST)Updated: Wed, 19 Apr 2017 09:55 AM (IST)
क्यों किया जाता है किसी मंत्र का 108 बार जाप
क्यों किया जाता है किसी मंत्र का 108 बार जाप

 माला में 108 दाने होते हैं, जब भी किसी मंत्र का जाप किया जाता है तो वो 108 बार ही किया जाता है। क्या आप जानते हैं माला में 108 दाने क्यों होते हैं और क्यों किया जाता है किसी मंत्र का 108 बार जाप किया जाता है आइए जानते हैं इसके बारे में....

prime article banner

ज्योतिष के अनुसार ब्रह्मांड को 12 भागों में विभाजित किया गया है। इन 12 भागों के नाम मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। इन 12 राशियों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। अतः ग्रहों की संख्या 9 का गुणा किया जाए राशियों की संख्या 12 में तो संख्या 108 प्राप्त हो जाती है। इसके साथ ही कुल 27 नक्षत्र होते हैं। हर नक्षत्र के 4 चरण होते हैं और 27 नक्षत्रों के कुल चरण 108 ही होते हैं। माला का एक-एक दाना नक्षत्र के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है। इन्हीं कारणों से माला में 108 मोती होते हैं।

माला कार्यानुसार तुलसी, वैजयंती, रुद्राक्ष, कमल गट्टे, स्फटिक, पुत्रजीवा, अकीक, रत्नादि किसी की भी हो सकती है। अलग-अलग कार्य सिद्धियों के अनुसार ही इन मालाओं का चयन होता है। 

 तारक मंत्र के लिए सर्वश्रेष्ठ माला तुलसी की मानी जाती है।  माला के 108 मनके हमारे हृदय में स्थित 108 नाड़ियों के प्रतीक स्वरूप हैं।  माला का 109वां मनका सुमेरु कहलाता है। जप करने वाले व्यक्ति को एक बार में 108 जाप पूरे करने चाहिए। इसके बाद सुमेरु से माला पलटकर पुनः जाप आरंभ करना चाहिए। 

किसी भी स्थिति में माला का सुमेरु लांघना नहीं चाहिए।  माला को अंगूठे और अनामिका से दबाकर रखना चाहिए और मध्यमा उंगली से एक मंत्र जपकर एक दाना हथेली के अंदर खींच लेना चाहिए। तर्जनी उंगली से माला का छूना वर्जित माना गया है।  मानसिक रूप से पवित्र होने के बाद किसी भी सरल मुद्रा में बैठें जिससे कि वक्ष, गर्दन और सिर एक सीधी रेखा में रहे। मंत्र जप पूरे करने के बाद अंत में माला का सुमेरु माथे से छुआकर माला को किसी पवित्र स्थान में रख देना चाहिए। मंत्र जप में कर-माला का प्रयोग भी किया जाता है। 

 जिनके पास कोई माला नहीं है वह कर-माला से विधि पूर्वक जप करें। कर-माला से मंत्र जप करने से भी माला के बराबर जप का फल मिलता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.