श्राद्ध में क्यों नहीं करते लोग खरीदारी
आमतौर पर पितृ पक्ष में लोग भूमि, वाहन, जेवर आदि की खरीदी नहीं करते हैं। मगर, शास्त्रों में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि पितृपक्ष में खरीदारी नहीं की जा सकती। पहले समय में लोग इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान में अधिक समय देने के कारण वस्तुएं नहीं खरीदते थे। यह परंपरा धीरे-धीरे रूढिवाद बन गई। पितृ पक्ष में खरीदारी करनी पड़े, तो इन
आमतौर पर पितृ पक्ष में लोग भूमि, वाहन, जेवर आदि की खरीदी नहीं करते हैं। मगर, शास्त्रों में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि पितृपक्ष में खरीदारी नहीं की जा सकती। पहले समय में लोग इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान में अधिक समय देने के कारण वस्तुएं नहीं खरीदते थे। यह परंपरा धीरे-धीरे रूढिवाद बन गई।
पितृ पक्ष में खरीदारी करनी पड़े, तो इन शुभ संयोगों वाले दिनो में की जा सकती है। खरीद करने से पहले अपने पितरों का स्मरण कर उनकी अनुमति के लिए प्रार्थना करें तो निश्चय ही प्रत्येक खरीदी शुभ होगी और पितरों का आशीर्वाद मिलेगा।
सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या तक लोग अपने पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध और दान-पुण्य करेंगे प्रत्येक पात्र व्यक्ति को अपने पूर्व की तीन पीढिय़ों माता-पिता, पितामह आदि के निमित्त श्राद्ध कर्म और पिंडदान करना चाहिए।
पितृ पक्ष के इन सोलह दिनों में सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि और रवि-सोम पुष्य नक्षत्र के शुभ योगों का संयोग रहेगा। वैसे 9 सितंबर से शुरू हो चुके पितृ पक्ष में पांच दिन सर्वार्थ सिद्धि पुष्य नक्षत्र के शुभ योगों का संयोग रहेगा।
पितृ पक्ष में यदि शुभ योग में ज्वेलरी, वाहन, इलेक्ट्रानिक, गृह उपयोगी वस्तुओं की खरीदी की जाती है तो वह शुभ समृद्धिकारक रहेगी। 9 सितंबर से शुरू हो चुके पितृ पक्ष 24 सितंबर तक रहेंगे।
11 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन दोपहर 12.20 बजे तक रहेगा। यही योग 15 और 18 सितंबर को भी रहेगा। 19 सितंबर को पुष्य नक्षत्र योग रहेगा। 16 सितंबर को महालक्ष्मी व्रत पूजा के दिन भी खरीदारी की जा सकती है।
खरीदी के दौरान मन में अपने पितरों का स्मरण कर उनकी अनुमति के लिए प्रार्थना करें। साथ ही पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि संस्कार भी पूरी श्रद्धा-आस्था से करें, जिससे उनके आशीर्वाद से समृद्धि बनी रहे।