Why Bengal Celebrates Kali Puja: दिवाली पर बंगाल में क्यों की जाती है मां काली की पूजा?
Why Bengal Celebrates Kali Pujaबंगाल में शारोदोत्सव का अंत काली पूजा से होता है। एक तरफ जहां दस हाथ वालीं मां दुर्गा संरक्षण और प्रगति की देवी हैं वहीं काली विनाश की देवी हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Why Bengal Celebrates Kali Puja On Diwali 2019: जब उत्तर भारत में 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम की आयोध्या वापसी की खुशी में दिवाली का त्योहार ज़ोरो शोरो से मनाया जा रहा होता है, उस वक्त बंगाल, ओडीशा और असम में काली पूजा की धूम होती है। काली पूजा के दिन, जैसा कि नाम से साफ है, मां काली को पूजा जाता है।
बंगाल में, शारोदोत्सव का अंत काली पूजा से होता है। एक तरफ जहां दस हाथ वालीं मां दुर्गा, संरक्षण और प्रगति की देवी हैं; वहीं, काली विनाश की देवी हैं, जो निरंतर परिवर्तन के लौकिक नियम से संबंधित सृष्टि के चक्र का दूसरा पक्ष हैं। हालांकि, ऐसा भी माना जाता है कि स्वर्ग और पृथ्वी को क्रूर राक्षसों से बचाने के लिए काली का जन्म दुर्गा के माथे से हुआ था।
क्यों की जाती है काली पूजा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, राक्षसों का संहार करने के बाद भी महाकाली का क्रोध शांत नहीं हुआ तो मां काली के इस रौद्र रूप को शांत करने के लिए भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए थे। भगवान शिव को शरीर के स्पर्श मात्र से ही देवी महाकाली का क्रोध समाप्त हो गया। इसी की याद में उनके शांत रूप लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत हुई जबकि इसी रात इनके रौद्र रूप काली की पूजा का विधान भी कुछ राज्यों में है।
इन जगहों पर होती है खास पूजा
भारत के अधिकतर राज्यों में दिवाली की अमावस्या पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं लेकिन पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम जैसे राज्यों में इस दिन मां काली की विशेष पूजा होती है। यह मान्यता है कि इसी दिन काली 64,000 यागिनियों के साथ प्रकट हुई थीं। यह पूजा अर्धरात्रि में की जाती है।
पूजाविधि
सर्वप्रथम स्नान करके साफ वस्त्र पहनकर मां काली की प्रतीमा स्थापित करें, फिर तस्वीर के सामने दीपक जलाएं। लाल गुड़हल के फूल मां को अर्पित करें। इसके बाद 'ओम् ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' मंत्र का 108 बार जाप करें, इस मंत्र के जाप से जीवन की समस्याएं दूर हो जाती हैं। काली पूजन में देवी मां को खिचड़ी, खीर, तली हुई सब्ज़ी का भोग लगाएं। मान्यता है कि काली मां भोग से प्रसन्न होकर सभी इच्छाएं पूरी करती हैं।