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ईद उल फितर 2018: पूरे 30 रोजों के बाद मनाया जा रहा है सौहार्द का ये पर्व

मुस्‍लिम समुदाय में रमज़ान उल मुबारक महीने के बाद मज़हबी ख़ुशी का पर्व ईद उल फितर मनाया जाता है। इस बार रमजान के पूरे 30 रोजों के इंतजार के बाद नजर आया चांद।

By Molly SethEdited By: Published: Thu, 14 Jun 2018 05:06 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jun 2018 09:03 AM (IST)
ईद उल फितर 2018: पूरे 30 रोजों के बाद मनाया जा रहा है सौहार्द का ये पर्व
ईद उल फितर 2018: पूरे 30 रोजों के बाद मनाया जा रहा है सौहार्द का ये पर्व

इस्‍लामी कलैंडर के दसवें माह के पहला दिन

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14 जून को रमजान माह का 29वां रोजा हो गया इसके बाद चांद दिखने के साथ ईद उल फितर 2018 का एलान कर दिया जायेगा। यदि चांद ना दिखा तो फिर ईद एक दिन आगे बढ़ जायेगी। हालाकि उम्‍मीद की जा रही है कि इस साल ये पर्व 15 जून को ही मनाया जायेगा। ईस्‍लाम के मानने वालों के अनुसार ईद उल फ़ितर इस्लामी कैलेंडर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है। इस्‍लामी कैलेंडर के बाकी महीनों की तरह यह भी नए चांद के दिखने पर शुरू होता है। ईश्‍वर से सबके लिए सुख शांति की इच्‍छा से मनाया जाने वाला त्‍योहार पूरे विश्व में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

ईद से जुड़ा है खास इतिहास

ईद 29वें रमज़ान का दिन डूबने के बाद और अगले दिन का चांद नज़र आने पर अगले दिन चांद की पहली तारीख़ के तौर पर मनाई जाती है। इस्‍लामी साल में दो ईद होती हैं जिनमें से एक है ईद उल फितर और दूसरी ईद उल जुहा या बकरीद कहलाती है। ईद उल-फ़ितर के साथ एतिहासिक महत्‍व भी जुड़ा हुआ है, कहते हैं कि पैगम्बर मुहम्मद ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद इसकी शुरूआत की थी। ईद उल फितर से महले रमजान माह में मुस्‍लिम संप्रदाय के लोग एक माह का कठोर उपवास रखते हैं जिन्‍हें रोजा कहते हैं। इसीलिए इस पर्व को अल्लाह का शुक्रिया अदा करने के तौर पर भी मनाया जाता है कि उन्होंने महीने भर के व्रत रखने की शक्ति दी। ईद पर लोग विभिन्‍न पकवान बनाते हैं और नए कपड़े भी पहनते हैं। इस अवसर पर सिवैंया विशेष रूप से बनाई जाती हैं। साथ ही अपने मित्र और परिजनों को तोहफे भी दिए जाते हैं। 

दान है अहम् हिस्‍सा

ईद एक समाजिक उत्‍सव है और इसे सारा मुस्‍लिम समाज मिल जुल कर मनाता है। इस दिन मस्जिदों में सुबह की प्रार्थना या नमाज से पहले हर मुसलमान का फ़र्ज़ माना जाता है कि वो दान करे। इस दान को ज़कात उल फ़ितर कहते हैं। बताते हैं कि यह दान कम से कम दो किलोग्राम की कोई भी प्रतिदिन खाने की चीज़ का हो सकता है, जैसे, चावल और सब्‍जियां आदि या फिर उन दो किलोग्राम के बराबर का मूल्य भी दिया जा सकता है। उपवास की समाप्ति के बाद ईद पर सभी एक साथ मस्‍जिद में इकठ्ठे हो कर नमाज अदा करते हैं और फिर एक दूसरे के गले मिलते हैं। की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी। ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। सिवैया इस त्योहार की सबसे जरूरी खाद्य पदार्थ है जिसे सभी बड़े चाव से खाते हैं।


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