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Manglik Dosh In Kundali: क्या होता है मांगलिक दोष? जानें किस मंत्र से मिल सकती है इससे राहत

Manglik Dosh In Kundali मंगली योग जिन जातकों या कुण्डली में होता है उनका विवाह समय पर नहीं हो पाता है या बाधाएं आती हैं।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 11:30 AM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 11:37 AM (IST)
Manglik Dosh In Kundali: क्या होता है मांगलिक दोष? जानें किस मंत्र से मिल सकती है इससे राहत
Manglik Dosh In Kundali: क्या होता है मांगलिक दोष? जानें किस मंत्र से मिल सकती है इससे राहत

Manglik Dosh In Kundali: आप से कोई हाल पूछता है तो आप कहते हैं कि सब कुशल-मंगल है। यानि कि सब कुछ सही एवं शुभ है। जब मंगल होता है, तभी अमंगलों का नाश हो जाता है। मंगल भवन अमंगलकारी रामायण की चैपाई सुनी है आपने, यानि जो अमंगल का हरण करे, वह मंगल है। यही बात मंगल ग्रह के बारे में कही गई है। मंगल उग्र ग्रह है, लेकिन अशुभ नहीं है। ज्योतिषाचार्य अनीस व्यास के अनुसार, किसी की भी कुण्डली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम एवं द्वादश भाव में अगर मंगल है, तो वह मंगली योग कहलाता है। मांगलिक नहीं, मंगली योग होता है।

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मांगलिक कार्य होते है और मंगली योग होता है। हम जब भी देखते हैं तो लड़की या लड़के के माता-पिता कहते है कि मांगलिक है, या कहते है कि मांगलिक दोष है। मांगलिक शब्द का अर्थ होता है शुभ कार्य। मांगलिक योग हो सकता है, लेकिन मांगलिक दोष नहीं हो सकता है। मांगलिक नहीं, मंगली होता है।

मंगली योग

मंगली योग जिन जातकों या कुण्डली में होता है, उनका विवाह समय पर नहीं हो पाता है या बाधाएं आती हैं। मंगली योग से उत्पन्न होने वाली बाधाओं के बारे में जानने से पहले आपको श्रीकृष्ण के विवाह में उत्पन्न हुई बाधाओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए। किस प्रकार श्रीकृष्ण ने मंगल देव को शांत किया और विवाह में उत्पन्न बाधाओं को पार किया।

मंगलम भगवान विष्णु, मंगलम गरूड़ ध्वज।

मंगलम पुण्डरिकांक्ष, मंगलाय तनो हरिः।।

मंगलनाथ मंदिर में है मंगल दोष का उपाय

महाकाल के पास है मंगलनाथ का मंदिर। उज्जैन नगरी शिप्रा नदी के तट पर स्थित है। महाकाल का मंदिर उज्जैन में है और मंगलनाथ का मंदिर भी है। पूरे भारत से लोग आकर मंगलनाथ की पूजा आराधना करते है, लेकिन जिनकी कुण्डली में मंगली दोष होता है, वह लोग मंगल दोष की शांति हेतु यहां पर आते है। यहां पर पूजा अर्चना करने से मंगल दोष से शीघ्र छुटकारा मिल जाता है। यहां से कोई निराश नहीं गया है।

यह मंदिर मंगलेश्वर भगवान या मंगलनाथ के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मंगलनाथ मंदिर के ठीक शीर्ष के ऊपर ही आकाश में मंगल ग्रह स्थित है। मतस्य पुराण व स्कंद पुराण सहित अन्य ग्रंथों में मंगलदेव के बारे में विस्तार से वर्णन है। उज्जैन में ही मंगलदेव की उत्पत्ति हुई थी और जहां पर मंगलनाथ का मंदिर है, उनका जन्म स्थान है। यह मंदिर दैवीय गुणों से भरपूर है।

डिस्क्लेमर-

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी. ''


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