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शिव-पार्वती विवाह : मां-बाप की शादी में कैसे हुई थी बेटे गणेश की पूजा

हिन्दू संस्कृति और पूजा में भगवान श्रीगणेश जी को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। यही वजह है कि शिव-पार्वती के विवाह में भी गणेश जी की पूजा की गई थी।

By abhishek.tiwariEdited By: Published: Thu, 20 Jul 2017 11:18 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jul 2017 11:21 AM (IST)
शिव-पार्वती विवाह : मां-बाप की शादी में कैसे हुई थी बेटे गणेश की पूजा
शिव-पार्वती विवाह : मां-बाप की शादी में कैसे हुई थी बेटे गणेश की पूजा

शिव-पार्वती के विवाह में गणेश जी की पूजा

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गणेश जी भगवान शिव-पार्वती के पुत्र हैं। कहते हैं कि शिव-पार्वती के विवाह में गणेण जी की पूजा हुई थी। कुछ लोग वेदों एवं पुराणों के विवरण को न समझ पाने के कारण शंका करते हैं कि गणेशजी अगर शिवपुत्र हैं तो फिर अपने विवाह में शिव-पार्वती ने उनका पूजन कैसे किया। इसको लेकर कई लोग संशय में रहते हैं। 

इस शंका का समाधान तुलसीदासजी करते हैं—

मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभु भवानि।

कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि। 

(विवाह के समय ब्रह्मवेत्ता मुनियों के निर्देश पर शिव-पार्वती ने गणपति की पूजा संपन्न की। कोई व्यक्ति संशय न करें, क्योंकि देवता (गणपति) अनादि होते हैं।)

इसका अर्थ यह है कि भगवान गणपति किसी के पुत्र नहीं हैं। वे अज, अनादि व अनंत हैं। भगवान शिव के पुत्र जो गणेश हुए, वह तो उन गणपति के अवतार हैं, जिनका उल्लेख वेदों में पाया जाता है। गणेश जी वैदिक देवता हैं, परंतु इनका नाम वेदों में गणेश न होकर ‘गणपति’ या ‘ब्रह्मणस्पति’ है। जो वेदों में ब्रह्मणस्पति हैं, उन्हीं का नाम पुराणों में गणेश है। ऋग्वेद एवं यजुर्वेद के मंत्रों में भी गणेश जी के उपर्युक्त नाम देखे जा सकते हैं।

विघ्‍नहर्ता हैं भगवान गणेश 

भगवान गणेश जहां विघ्नहर्ता हैं वहीं रिद्धि और सिद्धि से विवेक और समृद्धि मिलती है। शुभ और लाभ घर में सुख सौभाग्य लाते हैं और समृद्धि को स्थायी और सुरक्षित बनाते हैं। सुख सौभाग्य की चाहत पूरी करने के लिये बुधवार को गणेश जी के पूजन के साथ ऋद्धि-सिद्धि व लाभ-क्षेम की पूजा भी विशेष मंत्रोच्चरण से करना शुभ माना जाता है। इसके लिये सुबह या शाम को स्नानादि के पश्चात ऋद्धि-सिद्धि सहित गणेश जी की मूर्ति को स्वच्छ या पवित्र जल से स्नान करवायें, लाभ-क्षेम के स्वरुप दो स्वस्तिक बनाएं, गणेश जी व परिवार को केसरिया, चंदन, सिंदूर, अक्षत और दूर्वा अर्पित कर सकते हैं।

गणेश मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

शुभ लाभ मंत्र

ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये

वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥

भगवान श्री गणेश के इस मंत्र में ॐ, श्रीं, गं बीजमंत्र हैं जो परमपिता परमात्मा, मां लक्ष्मी, और भगवान श्री गणेश के बीज मंत्र हैं।


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