विष्णु, रूद्र वेदी में किया पिंडदान
राजकीय पितृपक्ष मेला महासंगम-2015 में शुक्रवार को विष्णुपद, ब्रrपद व रूद्रपद पिंड वेदी पर हजारों की संख्या में पिंडदानी पहुंचकर पिंडदान किया। फल्गु नदी में पानी की कमी के कारण पिंडदानियों ने देवघाट पर लगे झरना व कुछ पिंडदानी पहले ही स्नान करके पिंडदान करने के लिए आए हुए थे।
गया। राजकीय पितृपक्ष मेला महासंगम-2015 में शुक्रवार को विष्णुपद, ब्रrपद व रूद्रपद पिंड वेदी पर हजारों की संख्या में पिंडदानी पहुंचकर पिंडदान किया। फल्गु नदी में पानी की कमी के कारण पिंडदानियों ने देवघाट पर लगे झरना व कुछ पिंडदानी पहले ही स्नान करके पिंडदान करने के लिए आए हुए थे।
इन वेदियों पर पिंडदानियों ने खीर से बनाए हुए पिंड को वेदियों पर अपने हाथों से चिपकाया। विष्णुपद मंदिर परिसर में स्थापित इन वेदियों के अलावे कुल 16 वेदियां है। यहां की मान्यता है कि इन वेदियों पर ंिपंडदान करने से 101 कुल का उद्धार होता है। सीताराम पांडेय ने कहा कि यहां पिंडदान करने का एक अलग ही विधान है। यहीं पर गयासुर नामक राक्षस का सिर है। मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु राम ने अपने पिता राजा दशरथ की मृत्यु के बाद रूद्रपद वेदी पर आकर पिंडदान किये थे। स्व राजा दशरथ ने पिंडदान मांगने के लिए हाथ बढ़ाया। परंतु, प्रभु राम ने राजा दशरथ के हाथ में नहीं देकर रूद्रपद वेदी पर पिंडदान किया था। उस समय से अभी तक पिंडदानी यहीं रूद्र पद वेदी पर ही पिंडदान करते है। पिंडदान करने के बाद पिंडदानियों ने भगवान विष्णु के चरण का दर्शन किया। विष्णु चरण का दर्शन करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु का चरण दर्शन करने के लिए पिंडदानियों की लंबी-लंबी कतारे शुक्रवार की अहले सुबह से ही लगी थी।