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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने लाखों लोगों के साथ मनाया महाशिवरात्रि महोत्सव

भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू आयोजन के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु की अंग्रजी पुस्तक डेथ ऐन इनसाइड स्टोरी का विमोचन किया।

By Rajat SinghEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 06:57 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 01:32 PM (IST)
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने लाखों लोगों के साथ मनाया महाशिवरात्रि महोत्सव
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने लाखों लोगों के साथ मनाया महाशिवरात्रि महोत्सव

ईशा फाउंडेशन। भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू इस वर्ष ईशा योग केंद्र में मनाये जाने वाले महाशिवरात्रि महोत्सव में शामिल हुए। रात भर चलने वाले इस उत्सव में लाखों लोगों ने भाग लिया। ईशा में महाशिवरात्रि के आयोजन की यह 26वीं वर्षगांठ थी, जो आदियोगी की उपस्थिति में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ 21 फ़रवरी शाम 6 बजे से, 22 फ़रवरी सुबह 6 बजे तक मनायी गयी। भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू आयोजन के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु की अंग्रजी पुस्तक 'डेथ: ऐन इनसाइड स्टोरी' का विमोचन किया।

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सद्गुरु ने उपराष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा, 'आज महाशिरात्रि पर, भारत के प्रिय उपराष्ट्रपति का हमारे साथ होना सौभाग्य की बात है।' सद्गुरु ने नायडू को महायोग यज्ञ प्रज्वलित करने के लिए आमंत्रित किया, यह योग को पूरे विश्व में पहुंचाने का प्रतीक है।

इसके पहले सद्‌गुरु ने वेंकैया नायडू को ईशा योग केंद्र का दौरा कराया, और उनके लिए ध्यानलिंग योग मंदिर में पंच-तत्वों को शुद्ध करने की प्रक्रिया पंचभूत आराधना भी की। वेंकैया नायडू लिंग भैरवी देवी मंदिर भी गए।

आदियोगी के प्रांगण में उपस्तिथ हजारों श्रधालुओं को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा, 'योग जो व्यक्तिगत रूपांतरण की एक तकनीक है, आदियोगी उसकी प्रेरणा हैं और उसका प्रतिनिधित्व करते हैं'। महाशिवरात्रि को इतने विशाल स्तर पर आयोजित करने और उसे विश्व स्तर पर एक त्यौहार का रूप देने लिए वेंकैया नायडू ने सद्गुरु को बधाई दी। महादेव शिव को प्रकृति के करीब बताते हुए वेंकैया नायडू ने ईशा के द्वारा पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों – हरा-भरा वेलिंगिरी पर्वत और नदियों को बचाने के अभियानों - की सराहना की। कावेरी कॉलिंग अभियान का महत्व बताते हुए नायडू ने इस अभियान में सभी लोगों को आपने भविष्य के खातिर शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।

महाशिवरात्रि की रात में जगे रहने के फायदों को बताते हुए सद्गुरु ने कहा, 'इस रात में, उत्तरी गोलार्ध में ग्रहों की कुछ खास दशा के कारण मानव शरीर में उर्जा कुदरती रूप से ऊपर की ओर चढ़ती है। यह पूजा करने के लिए नहीं है, ना ही यह कोई विश्वास या मत है, यह एक इंसान के रूप में निखरने और बेहतर बनने के लिए है। यह मेरी कामना और आशीर्वाद है कि यह रात सिर्फ जागरण की रात ही नहीं, बल्कि जागृति की रात बन जाए।'

रात भर चलने वाले इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में लेबनीज बैंड, पार्थिव गोहिल एंड ट्रूप्स, गायक कार्तिक और साउंड्स ऑफ़ ईशा के साथ कई शास्त्रीय और लोक कलाकारों ने नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियां दी। इसके साथ कार्यक्रम में सद्‌गुरु ने प्रवचन दिये और ध्यान क्रियायें करवायीं। सद्‌गुरु ने लाखों लोगों को मध्य रात्रि के समय शक्तिशाली ध्यान क्रिया भी करवायी। यह ऐसी ध्यान प्रक्रिया है जिसमे भाग लेने के लिए लोग प्रतीक्षा करते हैं।

कार्यक्रम में उपस्थित व्यक्तियों में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, तमिलनाडु के कैबिनेट मंत्री एसपी वेलुमणि, डिंडुगुल श्रीनिवासन और उडुमलाई राधाकृष्णन, और कर्नाटक के मंत्री डॉ के सुधाकर भी शामिल थे।

100 से अधिक टेलीविजन और वेब चैनलों ने इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण करके दुनिया भर के उन लाखों लोगों तक इस उत्सव को पहुँचाया जो कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित नहीं हो पाए।

सद्गुरु ने सभी टीवी चैनलों को भी धन्यवाद दिया, और कहा 'आप में से जो लोग यहां उपस्थित नहीं हैं, लेकिन ऑनलाइन हैं, या टेलीविजन के माध्यम से हमारे साथ हैं, उन सभी चैनलों के लिए मैं आभार व्यक्त करता हूँ जो इसे दुनिया भर के लोगों तक ले जा रहे हैं।'

आयोजन स्थल पर उपस्थित सभी श्रधालुओं को महाअन्नदान के रूप में प्रसाद परोसा गया। आगंतुकों को रुद्राक्ष का एक मनका और सर्प सूत्र प्रसाद के रूप में भेंट किया गया। एक लाख आठ रुद्राक्षों की माला जो आदियोगी पर पिछले वर्ष सुशोभित थी, रुद्राक्ष प्रसाद के रूप में वितरित की गई। सर्प सूत्र स्थिरता और कल्याण के लिए बाईं अनामिका पर पहने जाने वाली एक पवित्र तांबे की अँगूठी है।

महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय ग्रहों की स्थिति के कारण अपार आध्यात्मिक लाभ मिलता है। इस रात उत्तरी गोलार्ध की स्थिति इस प्रकार होती है जिससे मानव शरीर में ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर चढ़ती है, और जिससे हमें आध्यात्म की राह पर आगे बढ़ने में मदद मिलती है। इसलिए यह महत्वपूर्ण माना जाता है कि ऊर्जा के इस प्राकृतिक चढ़ाव से लाभ पाने के लिए आप जागते रहें, और अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। इस रात की उर्जा बिना धर्म या मतों का भेदभाव किये सभी को लाभ पहुंचती हैं, जिसकी वजह से यह त्यौहार सभी के लिए महत्वपूर्ण है, और इसी वजह से आध्यात्मिक राह पर चल रहे लोगों के लिए यह और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है।

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