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...तब तक मां दुर्गा को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है

मां दुर्गा ने अपने हर अवतार में कुछ न कुछ सीख दी है। मां दुर्गा हमारे घर में मौजूद रहकर नकारात्मक शक्तियों से लड़ती है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 01 Oct 2016 02:20 PM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2016 02:31 PM (IST)
...तब तक मां दुर्गा को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है


मां शब्द का जब भी जिक्र होता है। मन में मां दुर्गा की छबि बनती है। यह छबि निराकार है। अनंत है। ममतामयी है। स्नेह की प्रतिमूर्ति है। मां का यह स्वरूप जब भी कोई भक्त देखता है, तो वह आस्था के समुंदर में डूब कर पार हो जाने जैसा महसूस करता है।

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'मां' हर घर में मौजूद है। मां स्वयं पास नहीं आ सकती इसलिए उन्होंने हमे 'मां' (जन्म देने वाली मां) का आंचल दिया। तो बहन का स्नेह। यह मां दुर्गा के ही अंशमात्र हैं। मां बच्चों के लिए ममता की मूर्ति है तो बहन स्नेह की प्रतिमा।

नवरात्र के नौ दिन मां के नौ रूपों की आराधना की जाती है। हम मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा तो करते हैं, लेकिन हमारे आस-पास मौजूद मां दुर्गा के अंशरूपी कन्याओं और स्त्रियों का सम्मान नहीं। जब तक हम अपने आस-पास मौजूद मां दुर्गा के अंश को सम्मान नहीं देंगे। तब तक मां दुर्गा को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है?

मां दुर्गा ने अपने हर अवतार में कुछ न कुछ सीख दी है। यदि मानव इन्हें जिंदगी में शामिल करे, तो न केवल मां दुर्गा प्रसन्न होंगी बल्कि आपके आस-पास का माहौल भी खुशियों से भर जाएगा।

मां का पहला स्वरूप शैलपुत्री हैं। यह अमूमन हम सभी जानते हैं। लेकिन कभी आपने इस रूप की गरिमा की ओर ध्यान दिया।

मां दुर्गा, शैलपुत्री रूप जब जन्मीं तो उनके पिता हिमालय थे। जिस तरह हिमालय हमारे भारत की रक्षा, नकारात्मक देशों से करता है। ठीक उसी तरह मां दुर्गा हमारे घर में मौजूद रहकर नकारात्मक शक्तियों से लड़ती है। लेकिन यह तभी होगा जब घर में मौजूद उनके अंश को सम्मान दें।


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