किन्नर समाज पहली बार 24 को करेगा त्रिपिंडी श्राद्ध
मंदिर में अर्चक पं. श्रीकांत मिश्र ने सभी को दर्शन-पूजन कराकर इस नई परंपरा का आगाज किया।
वाराणसी। देवाधिदेव महादेव को अपना इष्टदेव मानते हुए देश के विभिन्न कोनों से आए किन्नरों ने शुक्रवार शाम किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण मणि त्रिपाठी के नेतृत्व में नई परंपरा की शुरुआत करते हुए आम भक्तों की तरह बाबा दरबार में मत्था टेका। इसके अलावा जाह्नवी तट पर गंगा आरती की अलौकिक छटा निहारी।
किन्नर समाज अपने को सनातनधर्मी मानते हुए मातृनवमी 24 सितंबर को त्रिपिंडी श्राद्ध कर अपने पूर्वजों को नमन करेगा। गंगा महासभा द्वारा संचालित तारिणी न्यास के संयोजन में होने वाले धार्मिक कर्म में शामिल होने आए एक दर्जन से ज्यादा किन्नर शाम को पांच बजे अपने धर्मगुरु के सानिध्य में श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार पहुंचे।
मंदिर में अर्चक पं. श्रीकांत मिश्र ने सभी को दर्शन-पूजन कराकर इस नई परंपरा का आगाज किया। बाबा के दर्शन के बाद सभी ढुंढिराज गणेश होते हुए पैदल शीतला घाट पहुंचे। इसके बाद महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण ने गंगा पूजन किया।
महामंडलेश्वर ने बताया कि मातृनवमी तिथि पर 24 सितंबर को वे लोग सुबह नौ बजे पिशाचमोचन कुंड पर 21 ब्राह्मणों के आचार्यत्व में त्रिपिंडी श्राद्ध कर अपने पूर्वजों व पितरों का स्मरण करेंगे। इसके अलावा दोपहर एक बजे से दुर्गाकुंड स्थित अंध विद्यालय में ब्राह्माणों को भोजन कराकर सामर्थ्य के अनुसार दान देंगे।
कोख में मृत बेटियों का श्राद्ध आज
सामाजिक संस्था द्वारा मातृनवमी तिथि पर शनिवार की सुबह दशाश्वमेध घाट पर 11 वैदिक ब्राह्माणों के आचार्यत्व में गर्भ में मृत बेटियों की आत्मशांति के लिए श्राद्ध किया जाएगा। इस निमित्त जनजागरुकता के लिए बेटी बचाने के संदेश युक्त पोस्टर का लोकार्पण शुक्रवार शाम दशाश्वमेध घाट पर किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने किया।