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देवीधूरा में नौ मिनट चला पत्थर युद्ध, 50 घायल

देवीधूरा (उत्तराखंड) स्थित मां वाराही मंदिर प्रांगण खोलीखाड़ दुर्वा चौड़ में इस बार प्रसिद्ध पत्थर युद्ध बग्वाल नौ मिनट चला। पहले तीन मिनट फलों से व शेष समय पाषाण युद्ध लड़ा गया। इस अवधि में खोलीखाड़ दुर्वा चौड़ मैदान के आसमान पर पत्थर ही पत्थर दिखने लगे। चार खामों में

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2015 06:46 AM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2015 06:49 AM (IST)
देवीधूरा में नौ मिनट चला पत्थर युद्ध, 50 घायल

चंपावत, जागरण संवाददाता। देवीधूरा (उत्तराखंड) स्थित मां वाराही मंदिर प्रांगण खोलीखाड़ दुर्वा चौड़ में इस बार प्रसिद्ध पत्थर युद्ध बग्वाल नौ मिनट चला। पहले तीन मिनट फलों से व शेष समय पाषाण युद्ध लड़ा गया। इस अवधि में खोलीखाड़ दुर्वा चौड़ मैदान के आसमान पर पत्थर ही पत्थर दिखने लगे। चार खामों में बंटे लोगों ने एक-दूसरे पर खूब पत्थरबाजी की। चम्याल खाम, बालिक खाम, लमगडिय़ा खाम व गहड़वाल खाम में विभाजित लोगों के बीच युद्ध का नजारा देखते ही बनता था। चंद मिनट चले युद्ध में चारों खामों के करीब 50 वीर घायल हुए।

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पारंपरिक युद्ध समाप्त होने पर घायलों का मंदिर परिसर में बने अस्थाई अस्पताल में उपचार किया गया। बग्वाल का गवाह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत और विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल भी बने। ऐसा पहली बार हुआ है, जब कोई मुख्यमंत्री बग्वाल में मौजूद रहा। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि वाराही धाम को विश्व पटल पर प्रसिद्धि दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। बग्वाल के आयोजन के पीछे धार्मिक ही नहीं, ऐतिहासिक रहस्य भी हैं। लोक मान्यता है कि किसी समय देवीधूरा के सघन वन में 53 हजार वीर और 64 योगनियों का जबरदस्त आतंक था। स्थानीय लोगों को मां वाराही ने आतंक से मुक्ति देकर प्रतिफल के रूप में नर बलि की इच्छा जताई थी। प्रकारांतर में आजिज आए लोगों की साधना से खुश देवी ने वरदान दिया कि वह पत्थरों की मार से एक व्यक्ति के खून के बराबर निकले रक्त से ही तृप्त हो जाएगी। तब से यह परंपरा चली आ रही है।


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