पितरों की राह आलोकित करने के लिए टिमटमाएंगे आकाशदीप
आश्रि्वन पूर्णिमा पर बुधवार को गंगा में डुबकी लगाकर श्रद्धालुओं ने स्नान और अनुष्ठान के मास र्पयत चलने वाले दिव्य कार्तिक मास महोत्सव का श्रीगणेश किया। गुरुवार को प्रतिपदा से स्नान पर्व का जोश उफान पर होगा। रोजाना तड़के स्नान-दान और शाम को आकाशदीपों से जगमगाता आसमान होगा। शैव-वैष्णव एका की नींव का पत्थर स्वरूप 'हर' यानि
वाराणसी। आश्रि्वन पूर्णिमा पर बुधवार को गंगा में डुबकी लगाकर श्रद्धालुओं ने स्नान और अनुष्ठान के मास र्पयत चलने वाले दिव्य कार्तिक मास महोत्सव का श्रीगणेश किया। गुरुवार को प्रतिपदा से स्नान पर्व का जोश उफान पर होगा। रोजाना तड़के स्नान-दान और शाम को आकाशदीपों से जगमगाता आसमान होगा।
शैव-वैष्णव एका की नींव का पत्थर स्वरूप 'हर' यानि शिव की नगरी में पूरे माह 'श्रीहरि' को समर्पित अनुष्ठान होंगे। माना जाता है कि काशी में 11 माह शिव का तो एक मास श्रीहरि का होता है।
इसके लिए भोर से ही विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उतर आई। स्नान दान और पूजन अनुष्ठान किया। सूर्योदय के पूर्व शुरू क्रम सुबह आठ बजे से बाद तक चला। सिलसिला पूरे माह चलेगा, हालांकि सभी घाट व सरोवरों पर कार्तिकी डुबकी लगेगी लेकिन पंचनदतीर्थ (पंचगंगा) स्नान का विशेष मान होगा।
माना जाता है यहां ताप-पाप नाशक पांच नदियों यथा गंगा, यमुना, विशाखा, धूतपापा और किरणा का संगम होता है। ऐसे में यहां स्नान से हर तरह के पापों का शमन होता है। पुराणों में भी कहा गया है कि स्वयं तीर्थराज प्रयाग भी कार्तिक मास में पंचगंगा पर स्नान करते हैं। स्नान के बाद वहीं घाट पर ही श्रीहरि स्वरूप बिंदु माधव के दर्शन का विधान है। लिहाजा स्थानीयजनों के साथ ही दूर दराज से लोग आकर यहां स्नान पुण्य का लाभ उठाते हैं। यहां आकाशदीपों की आभा भी निराली होती है।
घाटों पर टंग गईं पिटारियां -
कार्तिक के पहले दिन से मास पर्यत पितरों की राह आलोकित करने के लिए आकाशदीप जलाए जाएंगे। इसके लिए बुधवार को घाटों पर बांस गाड़े गए। घरों की छतों पर भी बांस व्यवस्थित किए गए शाम को कार्तिक प्रतिपदा लग जाने से कुछ लोगों ने आकाश दीप प्रज्जवलित भी कर दिया।