श्राद्ध में नारायणी शिला पर किया पिंडदान
श्राद्ध महायज्ञ (श्राद्ध पक्ष) में बुधवार को द्वितीया का श्राद्ध किया गया। इस अवसर पर लोगों ने गंगा के विभिन्न घाटों से लेकर अपने घरों में अपने पूर्वजों की शांति और तृप्ति के निमित पकाए हुए शुद्ध पकवान, दूध, दही, घी, मिष्ठान आदि का दान किया । बुधवार को पूर्वजों के पृथ्वी प्रवास का तीसरा दिन रहा। द्वितीया श्राद्ध के लिए नारायणी शिला
हरिद्वार। श्राद्ध महायज्ञ (श्राद्ध पक्ष) में बुधवार को द्वितीया का श्राद्ध किया गया। इस अवसर पर लोगों ने गंगा के विभिन्न घाटों से लेकर अपने घरों में अपने पूर्वजों की शांति और तृप्ति के निमित पकाए हुए शुद्ध पकवान, दूध, दही, घी, मिष्ठान आदि का दान किया । बुधवार को पूर्वजों के पृथ्वी प्रवास का तीसरा दिन रहा।
द्वितीया श्राद्ध के लिए नारायणी शिला पर स्थानीय लोगों से लेकर दूर दराज से आए लोगों की भीड़ रही। बुधवार को पृथ्वी पर पूर्वजों के वास का तीसरा दिन रहा। विष्णु पुराण के अनुसार श्राद्ध और तर्पण करने से पितृगण तृप्त हो प्रसन्न होकर समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। इसलिए द्वितीया में जिस किसी के पूर्वजों की मृत्यु हुई थी, उनकी आत्म शांति और तृप्ति के लिए लोगों ने ब्राह्मणों को शुद्ध भोजन, वस्त्र, अन्न, दक्षिणा आदि देकर प्रसन्न किया।
पितरों को प्रसन्न करने के लिए लोगों ने अपने घरों में पूर्वजों के मनपसंद पकवान बनाकर उन्हें दान किया। इधर सुबह से ही गंगा के विभिन्न घाटों पर श्रद्ध कर्म करने वालों और स्नानार्थियों की भीड़ लगी रही। मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में गंगा स्नान करने से कई हजार गुना फल मिलता है।