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पहले हीरों की बारिश की जाती थी, वर्तमान में मंदिर में अखरोटों की बारिश की जाती है

एतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में मंगलवार को बैकुंठ चौदस पर्व पर सायं करीब साढ़े सात बजे अखरोटों की बारिश की गई। आयोजन में सैकड़ों शिव भक्तों ने भागीदारी निभाई। इस दौरान 11 हजार अखरोटों की मंदिर की छत से बारिश की गई और इसे भक्तों में प्रसाद के रूप में

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2015 02:46 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2015 02:57 PM (IST)
पहले हीरों की बारिश की जाती थी, वर्तमान में मंदिर में अखरोटों की बारिश की जाती है

बैजनाथ। एतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में मंगलवार को बैकुंठ चौदस पर्व पर सायं करीब साढ़े सात बजे अखरोटों की बारिश की गई। आयोजन में सैकड़ों शिव भक्तों ने भागीदारी निभाई। इस दौरान 11 हजार अखरोटों की मंदिर की छत से बारिश की गई और इसे भक्तों में प्रसाद के रूप में ग्रहण किया।

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पौराणिक कथा के अनुसार शंकासुर नामक राक्षस ने देवताओं पर जीत हासिल की पर देवताओं की शक्ति से पार न पा सका। जब उसे पता चला के देवता वेदमंत्रों के कारण उस पर भारी पड़ रहे हैं तो राक्षस ने वेदमंत्रों को छीनकर जल में प्रवाहित कर दिया। उसके बाद भगवान विष्णु ने मत्स्य का रूप धारण कर वेद मंत्रों को वापस लाकर देवताओं को सौंप दिया। इसी खुशी में पहले हीरों की बारिश की जाती थी लेकिन वर्तमान में मंदिर में अखरोटों की बारिश की जाती है।

कांगड़ा में जयंती माता मंदिर में पंचभीष्म मेलों के चौथे दिन मंगलवार को 20 हजार श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की कतारें मां के दर्शन के लिए लगनी शुरू हो गई थीं। दोपहर बाद श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी ज्यादा बढ़ गई कि दर्शन के लिए घंटों लाइनों में इंतजार करना पड़ा। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए थे।

जयंती माता मंदिर को जाने वाले रास्ते में श्रद्धालुओं ने जगह-जगह लंगर लगाए थे। मंदिर के पुजारी ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक प्रबंध किए थे।संवाद सहयोगी, कांगड़ा : जयंती माता मंदिर में पंचभीष्म मेलों के चौथे दिन मंगलवार को 20 हजार श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की कतारें मां के दर्शन के लिए लगनी शुरू हो गई थीं। दोपहर बाद श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी ज्यादा बढ़ गई कि दर्शन के लिए घंटों लाइनों में इंतजार करना पड़ा। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए थे। जयंती माता मंदिर को जाने वाले रास्ते में श्रद्धालुओं ने जगह-जगह लंगर लगाए थे। मंदिर के पुजारी ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक प्रबंध किए थे।


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