पिंडदानियों की भीड़ से छोटा पड़ा सीता कुंड
मानपुर के सलेमपुर गांव के पहाड़ी के तलहट्टी में स्थित सीता कुंड में नवमी तिथि को ही सीता ने अपने ससुर दशरथ को बालू का पींड दी थी। जब श्रीराम ने अपने पिता दशरथ को पिंड देने के लिए सामग्री लाने निकले थे इसी बीच दशरथ ने सीता के समक्ष अचानक पिंड मांगने के लिए हाथ बढ़ाए। तब सीता के पास कोई सामग्री नहीं रहने के कारण बालू का
गया। मानपुर के सलेमपुर गांव के पहाड़ी के तलहट्टी में स्थित सीता कुंड में नवमी तिथि को ही सीता ने अपने ससुर दशरथ को बालू का पींड दी थी। जब श्रीराम ने अपने पिता दशरथ को पिंड देने के लिए सामग्री लाने निकले थे इसी बीच दशरथ ने सीता के समक्ष अचानक पिंड मांगने के लिए हाथ बढ़ाए। तब सीता के पास कोई सामग्री नहीं रहने के कारण बालू का पिंड देना पड़ा था। तभी से सीता कुंड में अपने पित्रों को मोक्ष देने हेतु बालू का पिंड देने का प्रचलन शुरु हुआ है।
इस बार पिंडदानियों की भीड़ काफी रही। जिसके कारण पिंडदान करने के लिए जगह के लिए यात्रियों को घंटो इंतजार करना पड़ा। यहां तक कि सीता कुंड परिसर से बाहर जाकर लोगों को पींडदान करना पड़ा। जिसके कारण लोगों को परेशानी हुई।
बोले पिंडदानी- उड़ीसा राज्य के जासपुरा जिले से आये पिंडदानी दशरथ अग्रवाल का कहना है कि पितृपक्ष में यात्रियों के लिए बहुत अच्छा व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि साफ- सफाई, चिकित्सा, सुरक्षा के लिए चप्पे-चप्पे पुलिस की तैनाती है। अग्रवाल के साथ में आयीं लीला देवी का कहना है कि यहां खाने पीने की सामग्री उड़ीसा से सस्ता है। मुम्बई से आये गणोश शर्मा ने बताया कि व्यवस्था बहुत अच्छा है। चिकित्सा, बिजली, सुरक्षा, सफाई सभी व्यवस्था अच्छा है। परन्तु वृद्ध पिंडदानी भीड़ में आने जाने में गिर जा रहे हैं। जिससे कई वृद्ध चोटिल हो गये हैं। इसलिए भीड़ पर नियंत्रण होना चाहिए था। दिल्ली से आये प्रेम कौशिक व उषा कौशिक का कहना है कि पूर्व में गया आये थे। लेकिन उस समय की व्यवस्था और इस बार की व्यवस्था में काफी अंतर दिख रहा है। पूर्व की अपेक्षा इस बार चिकित्सा, बिजली, वाहनों की सुविधा, व सुरक्षा की काफी अच्छा व्यवस्था है।
छत्तीसगढ़ से आए अजय सावरिया ने कहा कि पांच साल पूर्व गया आये थे। उस समय की व्यवस्था केवल कागजी थी। जमीन पर कुछ नही था। परन्तु इस बार सब कुछ सामने नजर आ रही है। पुलिस इतना तत्पर है कि यात्री राहत महसूस कर रहे हैं। बक्सर जिला से आये आनंद दूबे तथा दूबे की पत्नी मैथली दूबे ने बताया कि हमलोग पहली बार गया आये हैं। उन्होंने कहा कि गया को लेकर बहुत अफवाह सुने थे। लेकिन जब हमलोग आये तो सब कुछ ठीक ठाक मिला। यहां के पंडा हो या पुलिस सभी यात्री के प्रति मददगार हैं। इसके अलावा व्यवस्था बहुत अच्छा लगा।