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Kanya Sankranti 2020: कन्या संक्रांति आज, सूर्य करेगा कन्या राशि में गोचर

Kanya Sankranti 2020 सूर्य देव 18 सितंबर 2020 को 1907 मिनट पर कन्या राशि में गोचर करेंगे। यह 17 अक्टूबर 0705 बजे तक इस राशि में ही रहेंगे। उसके बाद यह तुला राशि में गोचर कर जाएंग

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 09:00 AM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 07:01 AM (IST)
Kanya Sankranti 2020: कन्या संक्रांति आज, सूर्य करेगा कन्या राशि में गोचर
Kanya Sankranti 2020: कन्या संक्रांति आज, सूर्य करेगा कन्या राशि में गोचर

Kanya Sankranti 2020: सूर्य देव 18 सितंबर 2020 को 19:07 मिनट पर कन्या राशि में गोचर करेंगे। यह 17 अक्टूबर 07:05 बजे तक इस राशि में ही रहेंगे। उसके बाद यह तुला राशि में गोचर कर जाएंगे। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष में सूर्य ग्रह को राजा का दर्जा प्राप्त है। इस गोचर को बेहद अहम बताया है। सूर्य देव, सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन को कन्या संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है।

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ज्योतिष में सूर्य ग्रह का महत्व:

ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है। इसके साथ ही ज्योतिष में सूर्य को पिता का प्रतिनिधित्व भी माना जाता है। सूर्य के कारण ही पिता से संतान का संबंध मधुर व कटु बनता है। जब भी किसी जातक की कुंडली का आकलन किया जाता है तो सबसे पहले सूर्य का स्थान देखा जाता है। क्योंकि ज्योतिष में सूर्य को सफलता व सम्मान का कारक कहा जाता है। सूर्य प्रभावी हो तो जातक अपने जीवन में यश प्राप्त करता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इसके साथ ही वह ओजस्वी व प्रतापी होता है। महिला की कुंडली में सूर्य को पति के सफलता के लिए देखा जाता है। ज्योतिष में सूर्य के नाम से भी राशियों को संबोधित किया जाता है। जिसे सूर्य राशि कहा जाता है। यदि जातक की कुंडली में सूर्य की महादशा चल रही हो तो रविवार के दिन जातक को अच्छे फल मिलते हैं। ज्योतिष में सूर्य सिंह राशि का स्वामी माना गया है और मेष राशि में यह उच्च होता है, जबकि तुला राशि सूर्य की नीच राशि मानी जाती है।

सूर्य का मानव जीवन पर प्रभाव:

सूर्य हमारे ऊर्जा का स्त्रोत है। इन्हीं के कारण हम ऊर्जा वान रहते हैं। प्रकृति का सुचारु रूप से चलना भी सूर्य के ही ज़िम्मे है। इसी प्रकृति का हिस्सा हम भी हैं। जिसके चलते इनका प्रभाव हम पर पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार जिस जातक की कुंडली में सूर्य लग्न में विराजमान होते हैं उसका चेहरा बड़ा और गोल तथा आँखों का रंग शहद के समान होता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि जातक के शरीर में सूर्य हृदय को दर्शाता है। काल पुरुष कुंडली में अंतर्गत सिंह राशि हृदय को इंगित करती है। शारीरिक संरचना व ज्योतिष के अनुसार सूर्य पुरुषों की दायीं आँख व स्त्रियों की बायीं आँख को दर्शाता है। ज्योतिष के मुताबिक यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य बली है तो जातक अपने जीवन में सभी लक्ष्यों की प्राप्ति करता है। जातक के अंदर गजब का साहस देखने को मिलता है। इसके साथी वह प्रतिभावान व नेतृत्व क्षमता से परिपूर्ण होता है।

जीवन में उसे मान सम्मान की कमी नहीं होती। जातक ऊर्जावान, आत्म-विश्वासी व आशावादी होगा। जातक उपस्थिति के कारण घर में ख़ुशी, आनंद का माहौल बना रहा है। जातक दयालु होता है। रहन सहन शाही हो जाती है। ऐसे जातक अपने कार्य व संबंधों के प्रति काफी वफ़ादार होते हैं। कुंडली में सूर्य का उच्च व प्रभावी होना सरकारी नौकरी की ओर इशारा करता है। जातक जीवन में उच्च पद प्राप्त करता है। जिस जातक की कुंडली में सूर्य पीड़ित होते हैं या प्रभावी नहीं होते हैं उन जातकों पर इसका गहरा असर पड़ता है। ऐसे में जातक अहंकारी हो जाता है। क्रोध जातक की नाक पर सवार रहती है। जिसके कारण उसके कई काम बिगड़ जाते हैं। जातक छोटी –छोटी बातों को लेकर उदास हो जाते हैं। इसके साथ ही वे किसी पर भी विश्वास नहीं कर पाते हैं। जातकों के अंदर ईर्ष्या व्याप्त हो जाता है। जातक महत्वाकांक्षी होने के साथ आत्म केंद्रित भी बन जाते हैं। जिसके कारण इनकी सामाजिक प्रतिष्ठा में भी कमी आती है।


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