Move to Jagran APP

सबरीमाला में महिलाओं का प्रवेश रोकने की परंपरा पर कोर्ट ने उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला में महिलाओं को प्रवेश नहीं करने देने की सदियों पुरानी परंपरा पर सवाल उठाए हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 03 May 2016 10:58 AM (IST)Updated: Tue, 03 May 2016 10:59 AM (IST)
सबरीमाला में महिलाओं का प्रवेश रोकने की परंपरा पर कोर्ट ने उठाए सवाल

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला में महिलाओं को प्रवेश नहीं करने देने की सदियों पुरानी परंपरा पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने सोमवार को कहा कि यह जांचा जाएगा कि एक ही संप्रदाय के लोगों के श्रद्धा और विश्वास में कैसे भेदभाव किया जा सकता है।

loksabha election banner

जस्टिस दीपक मिश्रा, वी गोपाला गौड़ा, कुरियन जोसेफ की पीठ ने कहा, "सवाल एक ऐसी धार्मिक धारणा को लेकर है, जो लैंगिक समानता की अवधारणा पर धब्बा लगाती है। आपको विश्व बंधुत्व में विश्वास रखना चाहिए, जो समान आस्था वाले समुदाय से एक जैसा व्यवहार करता है।"

सुनवाई के दौरान जब त्रावणकोर देवासम बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने कहा, अदालत सहित कोई भी, आस्था और विश्वास पर सवाल नहीं उठा सकता। तब कोर्ट ने कहा कि पुरुषों और महिलाओं के अधिकारों के बीच टकराव व भेदभाव को संवैधानिक जांच का सामना करना होगा।

इस पर वेणुगोपाल ने शीर्ष न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा न्यायिक हस्तक्षेप सदियों पुरानी परंपरा के साथ अन्याय होगा तथा धार्मिक संस्थानों के सभी श्रद्धालुओं पर विपरीत असर डालेगा। बता दें, सबरीमाला मंदिर में परंपरा के अनुसार, 10 से 50 साल की महिलाओं की प्रवेश पर प्रतिबंध है।

मंदिर ट्रस्ट की मानें तो यहां 1500 साल से महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है। केरल के यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने प्रतिबंध के खिलाफ 2006 में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.