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Stories Behind Lohri 2020: लोहड़ी पर क्या है दुल्ला भट्टी की कहानी का महत्व?

Stories Of Lohri 2020 पहले दिनभर घर-घर से लकड़ियां लेकर इकट्ठा की जाती थीं हालांकि अब लकड़ियां बाज़ार से मिल जाती हैं। इसके बाद शाम को घर के आसपास खुली जगह पर इसे जलाया जाता है।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 01:34 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 08:35 AM (IST)
Stories Behind Lohri 2020: लोहड़ी पर क्या है दुल्ला भट्टी की कहानी का महत्व?
Stories Behind Lohri 2020: लोहड़ी पर क्या है दुल्ला भट्टी की कहानी का महत्व?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Stories Behind Lohri 2020: लोहड़ी का त्योहार पंजाबियों के लिए खास महत्व रखता है। जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चे का जन्म हुआ हो, उन्हें विशेष तौर पर लोहड़ी की बधाई दी जाती है। घर में नव वधू या बच्चे की पहली लोहड़ी का काफी महत्व होता है। इस दिन विवाहित बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है। ये त्योहार बहन और बेटियों की रक्षा और सम्मान के लिए मनाया जाता है।

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लोहड़ी मनाने की परंपरा 

लोहड़ी पर घर-घर जाकर दुल्ला भट्टी के और अन्य तरह के गीत गाने की परंपरा हुआ करती थी, लेकिन अब ऐसा कम ही होता है। बच्चे घर-घर लोहड़ी लेने जाते हैं और उन्हें खाली हाथ नहीं लौटाया जाता है। इसलिए उन्हें गुड़, मूंगफली, तिल, गजक या रेवड़ी दी जाती है। पहले दिनभर घर-घर से लकड़ियां लेकर इकट्ठा की जाती थीं, हालांकि आजकल लकड़िया बाज़ार से खरीद ली जाती हैं। इसके बाद शाम को चौराहे या घरों के आसपास खुली जगह पर इन्हें जलाकर लोहड़ी मनाई जाती हैं।

उस अग्नि में तिल, गुड़ और मक्का को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। आग जलाकर लोहड़ी को सभी में वितरित किया जाता है। नृत्य-संगीत का दौर भी चलता है। पुरुष भांगड़ा तो महिलाएं गिद्दा नृत्य करती हैं।

ऐसी हैं लोहड़ी की कथाएं

भगवान शिव और सती 

ऐसा कहा जाता है कि राजा दक्ष की पुत्री सती की याद में आग को जलाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा दक्ष ने यज्ञ करवाया था, लेकिन इसमें अपने दामाद शिव और पुत्री सती को आमंत्रित नहीं किया। इस बात से नाराज़ होकर सती अपने पिता के पास जवाब लेने पहुंची। वहां, पति शिव की निंदा वह बर्दाश्त नहीं कर पाईं और उन्होंने खुद को उसी यज्ञ में भस्म कर दिया। सती की मृत्यु का समाचार सुन भगवान शिव ने वीरभद्र को उत्पन्न कर उसके द्वारा यज्ञ का विध्वंस करा दिया।  

कृष्ण ने किया था लोहिता का वध 

एक अन्य कथा के अनुसार मकर संक्रांति के दिन कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा था, जिसे श्री कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था। उसी घटना के फलस्वरूप लोहड़ी पर्व मनाया जाता है। 

दुल्ला भट्टी की कहानी

इस दिन अलाव जलाकर उसके इर्दगिर्द डांस किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन आग के पास घेरा बनाकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनाई जाती है। लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने का खास महत्व होता है। मान्यता है कि मुग़ल काल में अकबर के समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स पंजाब में रहता था। उस समय कुछ अमीर व्यापारी सामान की जगह शहर की लड़कियों को बेचा करते थे, तब दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई थी। तब से हर साल लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाने की पंरापरा चली आ रही है। 


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