मैहर मंदिर पहाड़ी का क्षरण रोकने श्रद्घालुओं पर लगेगी लगाम
मैहर स्थित मां शारदा देवी मंदिर की त्रिकूट पहाड़ी का क्षरण रोकने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने फरमान जारी कर दिया है। यहां अब किसी तरह का कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकेगा। एनजीटी ने अपने आदेश में श्रद्घालुओं के बड़े जत्थों पर भी रोक लगा दी है। अब भक्तों
सतना(मध्यप्रदेश)। मैहर स्थित मां शारदा देवी मंदिर की त्रिकूट पहाड़ी का क्षरण रोकने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने फरमान जारी कर दिया है। यहां अब किसी तरह का कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकेगा। एनजीटी ने अपने आदेश में श्रद्घालुओं के बड़े जत्थों पर भी रोक लगा दी है। अब भक्तों को मां के दर्शनों के लिए छोटे-छोटे ग्रुप में पहाड़ी पर जाना होगा। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि श्रद्घालुओं के मंदिर में रुकने के साथ ही पहाड़ी पर चढ़ने और उतरने की समय सीमा भी तय की जाए।
लाउडस्पीकरों की आवाज भी नियंत्रित करने को कहा गया है। एनजीटी के जस्टिस दिलीप सिंह ने एडवोकेट नित्यानंद मिश्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए मैहर मंदिर पहाड़ी का क्षरण रोकने जिला प्रशासन को व्यवस्था बनाने का निर्देश देते हुए पूछा कि पहाड़ी का क्षरण रोकने अब तक क्या-क्या काम किया गया है।
एनजीटी ने 24 सितंबर तक प्रशासन से इसका जवाब मांगा है। मैहर पहाड़ी का क्षरण रोकने 1994 में सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रूढ़की ने एक रिपोर्ट तैयार की थी। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने रिपोर्ट की सिफारिशों को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन को उसके पालन का निर्देश दिया।
वर्तमान स्थिति
मां शारदा देवी मंदिर 367 मीटर ऊंची त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित है। यहां आधा दर्जन से अधिक भवन हैं। रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्घालु आते हैं। पहाड़ी पर बहुत कम पेड़ हैं। इन सभी कारणों से पहाड़ की चट्टानें टूटकर धसक रही हैं। दूर से देखने पर पहाड़ी रेगिस्तानी टीले के समान दिखाई पड़ती है। वर्ष 2015 में किए गए सर्वे के मुताबिक पहाड़ी का 20 प्रतिशत क्षरण हो चुका है। त्रिकूट पहाड़ी की मिट्टी भुरभुरी होने की वजह से भूस्खलन का खतरा भी बढ़ गया है।
ऐसे रुकेगा क्षरण
-पहाड़ी के चारों ओर रिटर्निंग दीवार बनाई जाए।
-नए निर्माण पर रोक।
-चारों ओर प्लांटेशन।
-पहाड़ी पर वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध।
-पशुओं के विचरण पर रोक।
-वृक्षों व घास की कटाई पर रोक।
मैहर की त्रिकूट पहाड़ी को लेकर समय-समय पर रिसर्च किया जाता रहा है। जिसमें यह बात सामने आई है कि पहाड़ी की देखभाल न होने और हर वर्ष बढ रहे दबाव के चलते पहाड़ी धसकने लगी है। वर्तमान में इसका स्वरूप भले ही छोटा हो लेकिन भविष्य में इसके अंजाम खतरनाक हो सकते हैं। -एपी मिश्रा, भूगर्भ शास्त्री, रीवा
एनजीटी ने आदेश दिया था कि पहाडी के 5 किलोमीटर के दायरे में नए निर्माण नहीं कराए जाएंगे। लेकिन स्थानीय प्रशासन की कमजोरी के चलते आदेश का पालन नहीं हो पा रहा है। इसे जल्द न रोका गया तो पहाड़ी कभी भी धसक सकती है। -एडवोकेट नित्यानंद मिश्रा, याचिकाकर्ता
पहाड़ी का भूस्खलन रोकने चारो ओर पौधरोपण कराए जाते हैं। कई जगह दीवार भी खड़ी की गई है। वृक्षों की कटाई व मवेशियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है। अन्य उपाय भी किए जा रहे हैं। - संतोष मिश्र, कलेक्टर