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17 दिवसीय पितृपक्ष प्रारंभ, 30 हजार तीर्थयात्री पहुंचे गया

विष्णु नगरी गयाजी में सोमवार की सुबह अन्य दिनों से कुछ अलग हटकर था। मोक्षधाम के रूप में विख्यात इस भूमि पर आज से एक पखवारे तक पितरों के जयकारे से गुंजायमान होने लगा है। प्रात: काल से ही पवित्र फाल्गु नदी के तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी। श्रापित फाल्गु देवघाट से थोड़ी दूर पर मंद मंद गति से बह रही है। जहां अपने पुरो

By Edited By: Published: Tue, 09 Sep 2014 01:34 PM (IST)Updated: Tue, 09 Sep 2014 01:54 PM (IST)
17 दिवसीय पितृपक्ष प्रारंभ, 30 हजार तीर्थयात्री पहुंचे गया

गया। विष्णु नगरी गयाजी में सोमवार की सुबह अन्य दिनों से कुछ अलग हटकर था। मोक्षधाम के रूप में विख्यात इस भूमि पर आज से एक पखवारे तक पितरों के जयकारे से गुंजायमान होने लगा है। प्रात: काल से ही पवित्र फाल्गु नदी के तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी।

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श्रापित फाल्गु देवघाट से थोड़ी दूर पर मंद मंद गति से बह रही है। जहां अपने पुरोहित के साथ यजमान (पुत्र) पहुंच रहे हैं। सूर्य की लालिमा अब पूरी छट चुकी है। धीरे-धीरे नदी में भीड़ बढ़ने लगी है। झुंड के झुंड मे आए श्रद्धालु अपने पितरों को तर्पण देने के कार्य में जुट गए हैं। यह तर्पण का कर्मकांड लगातार एक पखवारे तक जारी रहेगा।

धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष का पहला दिवस फाल्गु जल में तर्पण करने से ही शुरू होता है। गयाजी की इसी मान्यता को लेकर लोग अपने पितरों को जलांजलि दे रहे हैं।

धार्मिक पुस्तकों में वर्णित है कि फल्गु ब्रह्म जी द्वारा जगत कल्याण हेतु पृथ्वी पर लाया गया। ऐसे भगवान विष्णु के दाहिने पैर के अंगूठे से फाल्गु का उद्भव को भी उदृत किया गया है। इसे भगवान विष्णु की जल मूर्ति मानते हैं। इसलिए फाल्गु नदी में स्नान और पूजादि का अपना विशिष्ट महत्व है।

फाल्गु की कथा माता सीता जी के आगमन से भी जुड़ा है। जिसने फाल्गु के 'झूठ' बोलने पर अंत: सलिला का श्राप दिया था। तब से यह नदी अंत: सलिला के रूप में प्रवाहित होती है। तर्पण उपरांत देवघाट, गजाधर घाट एवं विष्णुपद के बाहरी परिसर में पिंडदानियों की भीड़ है। अलग-अलग स्थानों पर ंिपंडदान का कर्मकांड चल रहा है। प्रथम दिन होने के कारण ही थोड़ी भीड़ अधिक दिख रही है। सभी पिंडदानी पिंडदान के कर्मकांड के उपरांत विष्णुपद के दर्शन हेतु मंदिर में जाने लगते हैं। यह क्रम दोपहर तक चलता रहता है। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का यहां दर्शन बारी-बारी से हो रहा है। पितृपक्ष मेले को लेकर दो दिन पूर्व से ही यात्रियों का आना प्रारंभ हो गया है। पूर्व से आरक्षित कराए गए अपने-अपने आवासन में लोग विश्राम के लिए जा रहे हैं। मेला क्षेत्र का एक अलग ही माहौल दिखने को मिल रहा है। पहले दिन तक इस क्षेत्र में कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने सेवाभाव से शिविर खोल रखे हैं। आकंड़ों के मुताबिक लगभग 25 से 30 हजार तीर्थयात्री गयाजी पहुंच चुके हैं।

इस क्षेत्र में चहल-पहल बढ़ गई है। सोमवार की शाम को प्रशासन द्वारा विधिवत मेले के उद्घाटन उपरांत सक्रियता और दिखने को आएगी।


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