श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की दीवारें सुरक्षित करने को सीबीआरआई ने शुरू की टेस्टिंग
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की दीवारों को एनामल पेंट से मुक्त करने के लिए सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआइ) रुड़की ने रविवार को टेस्टिंग शुरू कर दी। इसके लिए खास तौर पर बुलाई गई दिल्ली की तकनीकी संस्था एग्रो के टेक्नीशियनों ने कंप्रेसर मशीन से अखरोट का बुरादा मिश्रित पानी की
वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की दीवारों को एनामल पेंट से मुक्त करने के लिए सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआइ) रुड़की ने रविवार को टेस्टिंग शुरू कर दी। इसके लिए खास तौर पर बुलाई गई दिल्ली की तकनीकी संस्था एग्रो के टेक्नीशियनों ने कंप्रेसर मशीन से अखरोट का बुरादा मिश्रित पानी की तेज बौछार दीवारों पर छोड़ी।
इससे पेंट की परतें धीरे-धीरे उतरने लगीं। अभी परीक्षण की यह कवायद तीन दिनों तक जारी रहेगी। इसमें सफलता का आकलन करने के बाद दीवारों को नुकसान पहुंचा रहे पेंट को उतारने के लिए यह विधि अपनाई जाएगी।
इस खास मकसद से डा. अजय मित्तल व डा. बी सिंह समेत सीबीआरआइ के अधिकारियों व तकनीकी संस्था का दल पूरे लाव लश्कर के साथ शाम को मंदिर पहुंचा। टेस्टिंग परिसर स्थित हनुमान मंदिर व संन्यासी गेट के पास शुरू की गई। इसमें पत्थरों पर से पेंट की तीन परतें उतरीं और दीवार साफ दिखने लगी।
पिछले साल गर्भगृह के उपशिखरों को स्वर्ण मंडित करने की कवायद शुरू की गई तो तय किया गया कि इससे पहले इनकी मजबूती का आकलन करा लिया जाए। इसकी जिम्मेदारी रुड़की की संस्था सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट को दी गई। वहां के अधिकारी व तकनीकी विशेषज्ञ इस क्रम में कई चरणों में परीक्षण कर चुके हैं।1एक दशक पहले चढ़ाया गया था पेंट 1बाबा दरबार के गर्भगृह समेत दीवारों पर 2003 में एनामल पेंट चढ़ा दिया गया था। इसके साथ ही रसायनविदों और भवन विशेषज्ञों ने पत्थरों के छिद्र बंद होने से दीवारों को क्षति पहुंचने की आशंका जताई थी जो बाद में कई स्थानों पर परतें उतरने के रूप में सच भी साबित हुआ। इसे लेकर श्रद्धालुओं व अन्य संस्थाओं द्वारा विरोध प्रदर्शन भी किया गया। इसपर मंदिर प्रशासन ने अपनी गलती भी स्वीकार की।