श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के शास्त्रियों ने छोड़ा दरबार
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में पारदर्शिता की कवायद एक बार फिर ढीली पड़ती दिखने लगी है। इसका बड़ा प्रमाण रहा प्रतिबंधित दो नि:शुल्क शास्त्रियों का मंदिर में बिना किसी रोकटोक पांच दिनों तक लगातार पूजन-अनुष्ठान कराना। दैनिक जागरण ने 14 दिसंबर के अंक में इस संबंध में खबर के जरिए अधिकारियों
वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में पारदर्शिता की कवायद एक बार फिर ढीली पड़ती दिखने लगी है। इसका बड़ा प्रमाण रहा प्रतिबंधित दो नि:शुल्क शास्त्रियों का मंदिर में बिना किसी रोकटोक पांच दिनों तक लगातार पूजन-अनुष्ठान कराना। दैनिक जागरण ने 14 दिसंबर के अंक में इस संबंध में खबर के जरिए अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया। इसके बाद से नि:शुल्क शास्त्री मंदिर नहीं आए, वहीं अधिकारियों ने भी लीपापोती शुरू कर दी।
बताया जा रहा कि मंदिर के ही एक अधिकारी ने दोनों नि:शुल्क शास्त्रियों को किसी अपने खास को पूजन-अनुष्ठान कराने का निर्देश दिया था। इसमें कार्य पालक समिति के फैसले को दरकिनार तो किया ही गया, उनकी पांच दिनों से निरंतर मंदिर में मौजूदगी को भी नजरअंदाज किया गया। माना यह भी जा रहा है कि पूर्व की भांति वैधानिक समितियों के फैसले ताक पर रख कर घालमेल की तैयारी थी। इसका बड़ा प्रमाण यह कि मंदिर के सीईओ तक को इसकी जानकारी नहीं दी गई। अब मामला सामने आने के बाद चूक के बिंदू तलाशे जा रहे हैं। संबंधित लोगों से जवाब तलब की भी तैयारी है। मालूम हो कि नि:शुल्क शास्त्रियों की तैनाती में चार माह पहले न्यासी श्रीप्रसाद दीक्षित ने लेनदेन का आरोप लगाया था। इसके बाद कार्यपालक समिति ने चार सितंबर को ऐसे सभी 12 शास्त्रियों का परिसर प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया था। धरना प्रदर्शन के बाद से सभी न्यायालय की शरण में चले गए थे। 1दो शास्त्रियों की मंदिर में आवाजाही पर चर्चा को हवा दी गई कि दोनों ने मुकदमा वापस लेकर कार्य शुरू किया है।