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धरती पर किए गए कार्यों से तय होता है कि आत्मा स्वर्ग जाएगी या नर्क

ये बात हुई पौराणिक तथ्यों की जिनके अनुसार आत्मा का धरती से लेकर परमात्मा तक पहुंचने का सफर वर्णित हैं। धरती पर रहकर पूर्वजों को खुश कैसे किए जाए?

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 27 Sep 2016 12:15 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2016 12:21 PM (IST)
धरती पर किए गए कार्यों से तय होता है कि आत्मा स्वर्ग जाएगी या नर्क

श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों का तर्पण किया जाता है। पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि जब आत्मा शरीर को त्याग कर जाती है तो वह सर्वप्रथम वह पितृ लोक में पहुंचती है। वहां हमारे पूर्वज उस आत्मा से मिलते हैं। फिर आत्मा सूर्य लोक की ओर जाती है।

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वहां से आगे कोई भी आत्मा तभी जा पाती है, यदि उसने धरती पर रहकर पुण्य कर्म किए हों। सूर्य लोक से आगे स्वर्ग का रास्ता जाता है। और एक नर्क का। धरती पर किए गए कार्यों से तय होता है कि आत्मा स्वर्ग जाएगी या नर्क।

यदि व्यक्ति ने धरती पर रहकर अधिक पुण्य किए हैं तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यानी वह परमपिता परमात्मा के चरणों में विलीन हो जाता है। उसे जन्मजन्मांतर तक धरती पर रहकर कई तरह के जन्मों में दुःख नहीं उठाने पड़ते हैं।

ऐसा करेंगे तो नाराज नहीं होंगे पूर्वज

ये तो बात हुई पौराणिक तथ्यों की जिनके अनुसार आत्मा का धरती से लेकर परमात्मा तक पहुंचने का सफर वर्णित हैं। लेकिन धरती पर रहकर पूर्वजों को खुश कैसे किए जाए? इसका आसान सा जबाव यही है कि जब आपके वरिष्ठ परिजन जब धरती पर जिंदा हैं।

उन्हें सम्मान दें। उनको किसी तरह से दुःखी न करें। क्योंकि माता-पिता, दादा-दादी, जब तक जिंदा हैं और खुश हैं तो मरने के बाद भी वह आपसे खुश ही रहेंगे।

आधुनिक दौर में माता-पिता, दादा-दादी या अन्य वरिष्ठजनों को लोग यातनाएं देते हैं उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं यह पूरी तरह से गलत है। और इनके मरने के बाद उनका तर्पण करते हैं। ऐसे में वह आपसे खुश कैसे रह सकते हैं।

यदि पूर्वज नाराज हों तो देते हैं ये दंड

वैसे पूवजों के नाराज होने के बहुत से कारण हो सकते हैं। आपके आचरण से, किसी परिजन द्वारा की गई गलती से, श्राद्ध आदि कर्म न करने से, अंत्येष्टि कर्म आदि में हुई किसी त्रुटि के कारण भी हो सकता है।

ऐसे में वह अवसाद,व्यापार में नुकसान,परिश्रम के अनुसार फल न मिलना, वैवाहिक जीवन में समस्याएं, करियर में समस्याएं का बाधा आना पूर्वजों की नाराजगी का परिणाम हो सकता है। इसीलिए श्राद्ध पज्ञ में श्राद्ध कर्म जरूर करें।

क्योंकि पंचतत्वों यानी अग्नि, जल, वायु, आकाश और धरती से बना यह शरीर एक न एक दिन इनमें ही मिल जाना है।


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