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पिंडदान के बाद शुरू हुआ पिंडदानियों का ढलान

पितृपक्ष मेला में रविवार को गया सिर वेदी और गया कूप पिंडवेदी पर पिंडदान के बाद पिंडदानी अपने-अपने घर लौटने की तैयारी करने लगे हैं। रविवार को आम दिनों की तरह विष्णुपद क्षेत्र में पिंडदानियों की उपस्थिति बहुत कम रही। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि पितृपक्ष मेला अब ढलान की ओर बढ़ रहा है। जो भी तीर्थयात्री यहां उपस्थित हैं,

By Edited By: Published: Mon, 30 Sep 2013 01:21 PM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2013 01:29 PM (IST)
पिंडदान के बाद शुरू हुआ पिंडदानियों का ढलान

गया। पितृपक्ष मेला में रविवार को गया सिर वेदी और गया कूप पिंडवेदी पर पिंडदान के बाद पिंडदानी अपने-अपने घर लौटने की तैयारी करने लगे हैं।

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रविवार को आम दिनों की तरह विष्णुपद क्षेत्र में पिंडदानियों की उपस्थिति बहुत कम रही। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि पितृपक्ष मेला अब ढलान की ओर बढ़ रहा है। जो भी तीर्थयात्री यहां उपस्थित हैं, वे एन-केन पिंडदान कर कर्मकांड को पूरा करने में लगे हैं। ताकि जल्द से जल्द कर्मकांड को पूरा कर अपने घर लौट सके। मेला के 10 वें दिन गया सिर वेदी और गया कूप में पिंडदान करने का विधान है। इस कारण से पिंडदानी अपने-अपने पितृरों की मोक्ष के लिए पूरे विधि विधान से पिंडदान करने की प्रक्रिया को पूरा जा रहा है। ऐसे तो पितृपक्ष मेला में 15 दिनों का होता है। जिला प्रशासन की सारी व्यवस्था 15 दिनों की होती है। लेकिन जिस हिसाब पिंडदानियाें की उपस्थिति के बारे में सोचा गया था। उसके हिसाब से मेला में देश-विदेशों से पिंडदानियों की उपस्थित इस बार कम रही है। जो बचे अभी यहां हैं, वे पिंडवेदियों पर शेष तीन दिनों तक पिंडदान करने की विधि को पूरा करेंगे। सबसे अंत में जो लोग 15 दिनाें का पिंडदान करते हैं, वैसे पिंडदानी अक्षयवट वृक्ष के नीचे अपने पुरोहित से सुफल प्राप्त करेंगे। साथ ही जो श्रद्धालु गयाधाम के हैं, वे अपने पूर्वजों की तिथि को नहीं जानते हैं, वैसे लोग 4 अक्टूबर को महाल्या के दिन जल तर्पण करेंगे। उसके बाद विधिवत रूप से पितृपक्ष मेला का समापन किया जाएगा। मेला समापन में चार दिन शेष रह गए है।

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