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Shukra Rashi Parivartan: शुक्र का कन्या राशि में प्रवेश, कन्या राशि में रहेगा गोचर, भाग्य का कारक है शुक्र

Shukra Rashi Parivartan दैत्यों के गुरु और भाग्य के कारक शुक्र ग्रह 23 अक्टूबर से सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करेगा। शुक्र ग्रह को भोग विलास सुख-सुविधा प्रेम विलासिता जैसा कारकों के लिए जाना जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 09:30 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 10:33 AM (IST)
Shukra Rashi Parivartan: शुक्र का कन्या राशि में प्रवेश, कन्या राशि में रहेगा गोचर, भाग्य का कारक है शुक्र
Shukra Rashi Parivartan: शुक्र का कन्या राशि में प्रवेश, कन्या राशि में रहेगा गोचर, भाग्य का कारक है शुक्र

Shukra Rashi Parivartan: दैत्यों के गुरु और भाग्य के कारक शुक्र ग्रह 23 अक्टूबर से सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करेगा। शुक्र ग्रह को भोग विलास, सुख-सुविधा, प्रेम, विलासिता जैसा कारकों के लिए जाना जाता है। शुक्र मीन राशि में उच्च के होते हैं तो कन्या राशि में नीच के माने जाते हैं। उच्च शुक्र शुभ फलदायी होते हैं नीच शुक्र नकारात्मक परिणाम लेकर आते हैं। नवग्रहों में शामिल छठा ग्रह शुक्र वृषभ और तुला राशि का स्वामी माना जाता है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि 23 अक्टूबर 2020 को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर शुक्र अपनी नीच माने जानी वाली राशि कन्या में प्रवेश कर रहे हैं। इस राशि में शुक्र देव 25 दिनों के लिए स्थित रहेंगे और फिर मंगलवार 17 नवंबर 2020 को दोपहर 12 बजकर 50 मिनट पर कन्या राशि से निकल कर अपनी स्वराशि तुला में प्रवेश करेंगे। शुक्र ग्रह से सभी राशियां भी प्रभावित होती है।

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शुक्र एक शुभ ग्रह है यदि शुक्र कुंडली में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि कमज़ोर होने पर यह अशुभ फल देता है। शुक्र को 27 नक्षत्रों में से भरणी पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। ग्रहों में बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह हैं जबकि सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह माने जाते हैं। शुक्र का पौराणिक कथाओं में प्रचलित नाम शुक्राचार्य है जिनके बाद संजीवनी विद्या थी और ये शिव के परम भक्त व महर्षि भृगु ऋषि के पुत्र हैं। सप्ताह में शुक्रवार का दिन शुक्र को समर्पित है। शुक्र के अच्छे फल के लिए महिलाओं का सम्मान करें। परशुराम की आराधना करने से भी शुक्र की कृपा प्राप्त होती है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख वैवाहिक सुख भोग-विलास शौहरत कला प्रतिभा सौन्दर्य रोमांस काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है।

शुक्र का शुभ-अशुभ प्रभाव:

शुक्र के राशि परिवर्तन से भौतिक सुख और वैवाहिक सुख में वृद्धि होगी। कानूनी मामलों में वृद्धि होगी। कानूनी विवाद ज्यादा होंगे। रोजगार के क्षेत्रों में वृद्धि होगी। आय में बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही राजनीति में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। व्यापार में तेजी रहेगी। सोने चांदी के भाव में वृद्धि होगी। शुक्र के अशुभ प्रभाव से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी होती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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