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मानव कल्याण के लिए Shri Ganesha ने लिया था Mahodara avatar

श्री गणेश ने 8 बार अवतार लिया और मानव जाति को कष्टों से मुक्ति दिलाई ऐसा ही एक अवतार है महोदर इनके बारे में ही जानकारी दे रहे हैं पंडित दीपक पांडे।

By Molly SethEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 04:35 PM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 09:15 AM (IST)
मानव कल्याण के लिए Shri Ganesha ने लिया था Mahodara avatar
मानव कल्याण के लिए Shri Ganesha ने लिया था Mahodara avatar

 श्री गणेश के 8 अवतार 

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पौराणिक कथाओं के अनुसार मानव जाति के कल्याण के लिए अनेक देवताओं  ने कई बार पृथ्वी पर अवतार लिए हैं। श्री गणेश जी ने भी आसुरी शक्तियों से मुक्ति दिलाने और संसार की रक्षा के लिए ऐसा किया है। श्रीगणेश के इन अवतारों का वर्णन गणेश पुराण, मुद्गल पुराण, और गणेश अंक आदि अनेक ग्रंथो से प्राप्त होता है। उनके अवतारों की संख्या आठ मानी जाती है। जिनके नाम इस प्रकार हैं, वक्रतुंड,  गजानन, एकदंत, विघ्नराज, महोदर, लंबोदर, विकट, और धूम्रवर्ण। इस क्रम में ही एक महोदर अवतार के बारे में यहां जानकारी दी गई है।  

क्यों बने महोदर 

भगवान गणेश ने महोदर रूप में मोहासुर नाम के राक्षस को पराजित किया था, जो कि दैत्यगुरु शुक्राचार्य का एक शिष्य था। मोहासुर ने अपने तप से सूर्य देव को प्रसन्न किया था और उनसे त्रैलोक्य विजय का वरदान प्राप्त कर लिया था। इसके बाद दैत्य गरू शुक्राचार्य ने उसे असुरों का राजा घोषित कर दिया। सूर्य के वरदान और अपने बल से उसने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर आतंक का साम्राज्य स्थापित कर दिया। उसके इसी आतंक का निवारण गणपति ने अपने तीसरे अवतार महोदर के रूप में किया था। 

जानें महोदर की पूरी कथा 

जब सब देवी, देवता, ऋषि, मुनि मोहासुर के भय से आक्रांत हो कर  छुपने के लिए स्थान तलाशने लगे और पृथ्वी पर धर्म, कर्म हानि होने लगी तो लोग, सूर्य देव की शरण में गए और उसे नष्ट करने का उपाय पूछने लगे। सूर्य ने उन्हें श्री गणेश का एकाक्षरी मंत्र दिया और श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए कहा। सबने ऐसा ही किया, इस भक्ति भाव और तपस्या से प्रसन्न होकर श्री गणेश महोदर रूप में प्रकट हुए। देवताओं और मुनियों ने भगवान महोदर से अपने कष्ट का निवारण करने के लिए कहा। भगवान ने उन्हें मोहासुर का वध करने का आश्वासन दिया। वे अपने वाहन मूषक पर सवार होकर दैत्य राज को सबक सिखाने चल दिए। इधर नारद मुनि भी मोहासुर के पास गए और उसे महोदर की शक्ति का परिचय देते हुए समझदारी से काम लेने को कहा। दैत्य गुरू शुक्राचार्य ने भी उसे देवी महोदरा की शरण में जाने को कहा। उसी समय महोदर के दूत बनकर भगवान विष्णु भी मोहासुर के पास गये और समझाया कि तुम महोदर को परास्त नहीं कर सकते अच्छा होगा उनकी शरण में जाओ और मैत्री कर लो। यदि तुम महोदर की शरण में आकर देवताओं, मुनियों और ब्राह्मणों को धर्म पूर्ण जीवन व्यतीत करने का आश्वासन दोगे तो वे तुम्हारे प्राण अवश्य बख्श देंगे, अन्यथा युद्घ में तुम्हारी पराजय और मृत्यु सुनिश्चित है। तब मोहासुर का अहंकार नष्ट हुआ और उसने महोदर को सम्मान सहित अपने को नगर में बुला कर उनकी शरण ग्रहण की। पाप कर्म से दूर रहने का निश्चय किया। इसके बाद महोदर ने उसे जीवन दान दे कर देवताओं और समस्त ब्रह्मांड को कष्ट से मुक्ति दिलाई।  


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