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Shardiya Navratri 2022: भगवान श्री राम से जुड़ी है नवरात्र पर्व की एक विशेष कथा

Shardiya Navratri 2022 शारदीय नवरात्र में माता भगवती के नौ सिद्ध स्वरूपों की विशेष पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में उपवास रखने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भक्तों मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

By Shantanoo MishraEdited By: Published: Tue, 27 Sep 2022 11:12 AM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 11:12 AM (IST)
Shardiya Navratri 2022: भगवान श्री राम से जुड़ी है नवरात्र पर्व की एक विशेष कथा
Shardiya Navratri 2022: भगवान श्री राम ने भी जुडी है नवरात्र पर्व की कथा।

नई दिल्ली, Shardiya Navratri 2022: 26 सितम्बर 2022 से नवरात्र महापर्व का शुभारम्भ हो चुका है। इस बीच मंदिरों में मां भगवती के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में भक्त उमड़ रहे हैं। हिन्दू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण पर्वों से एक नवरात्र पर्व का समापन विजयदशमी पर्व के दिन 5 अक्टूबर को होगा। मान्यता है कि नवरात्र पर्व में मां आदिशक्ति के नौ सिद्ध स्वरूपों की आराधना करने से भक्तों के सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं और उन्हें मनोवांछित इच्छापूर्ति के आशीर्वाद की प्राप्ति है।

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शास्त्रों में भी कई ऐसी कथाओं का वर्णन मिलता है जो नवरात्र पर्व के महत्व को विस्तार से दर्शाता है। बता दें कि नवरात्र में उपवास रखने की प्रथा रामायण काल (Navratri 2022 Katha) से भी पहले से चलन में है। देवी भागवत पुराण के अनुसार भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले मां दुर्गा का नौ दिन उपवास रखा था। यह उपवास इसलिए विशेष था क्योंकि मां दुर्गा ने स्वयं प्रकट होकर प्रभु श्री राम को विजय होने का आशीर्वाद प्रदान किया था। आइए जानते हैं यह खास कथा।

नारद मुनि ने दिया भगवान श्री राम को उपदेश

मान्यताओं के अनुसार नवरात्र में मां दुर्गा को समर्पित व्रत रखने से व्यक्ति किसी भी दुर्गम परिस्थिति में विजय प्राप्त कर सकता है। देवी भागवत पुराण के अनुसार जब भगवान श्री राम माता सीता के हरण से टूट गए थे तब देवर्षि नारद जी ने उन्हें रावन पर विजय प्राप्त करने के लिए मां दुर्गा के इस विशेष अनुष्ठान का सुझाव दिया। प्रभु राम ने इस सुझाव का पालन किया और अनुष्ठान प्रारम्भ किया। इसमें उनके आचार्य स्वयं देवर्षि नारद थे। उन्होंने श्री राम को अनुष्ठान की सम्पूर्ण विधि से अवगत कराया।

नौ दिनों तक चला अनुष्ठान

नारद मुनि के दिशा-निर्देश पर प्रभु श्री राम अनुष्ठान को पूरा कर रहे थे। उन्होंने प्रसिद्ध किष्किन्धा पर्वत पर भगवान दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित किया और अपने छोटे भाई लक्ष्मण जी के साथ इस अनुष्ठान का पालन किया। नवरात्र अर्थात नौ रात्रि तक उपवास रखने के बाद माता भगवती प्रसन्न हुईं और अष्टमी तिथि की रात्रि में उन्होंने दोनों भाइयों को दर्शन दिया। साथ ही माता ने श्री राम को विजय होने का आशीर्वाद प्रदान किया। इसके बाद दशमी तिथि को जब श्री राम और रावन में युद्ध हुआ तब अधर्म पर धर्म की जीत को आज भी विजयदशमी के रूप में जाना जाता है।

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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