Shandevi In Kundali: कुंडली में शनिदेव का इस भाव में होना माना जाता है शुभ, रंक को भी बना देते हैं राजा
Shanidev In Kundali ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि शनिदेव किस भाव में होना शुभ माना जाता है। इसी तरह कुंडली में किस भाव में शनि के होने से रंक भी राजा बन जाता है। इस बारे में भी बताया गया है।
नई दिल्ली, Shanidev In Kundali: वेद-शास्त्रों में माना जाता है कि कर्मफलदाता शनि देव व्यक्ति के कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। अच्छे फल देने वालों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है और बुरे कर्म करने वालों को शनिदेव उसी आधार पर फल देते हैं। माना जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि दोष, शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या होती है, तो वह हमेशा किसी न किसी समस्या से ग्रस्त रहते हैं। उन्हें आर्थिक, मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं जिन लोगों के ऊपर शनिदेव की कृपा हो, तो उन्हें रंक से राजा बनने में देर नहीं लगती है।
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि कुंडली में शनि किस भाव में होते हैं तो जातक के जीवन में क्या-क्या प्रभाव पड़ते है। जानिए किस भाव में शनि होना माना जाता है लाभकारी। लेकिन वैवाहिक जीवन के लिए थोड़ा अशुभ साबित हो सकता है। व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
शनि का सप्तम भाव पर होना
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में अगर शनि सप्तम भाव में है, तो जातक को काफी लाभ मिलेगा। बिजनेस-नौकरी में तरक्की के साथ-साथ मान-सम्मान बढ़ेगा। अगर कोई जातक किसी बिजनेस को शुरू करने की सोच रहा हैं तो इस इस भाव में करना सबसे अच्छा होगा। अगर कुंडली में शनि सप्तम भाव में है, तो व्यक्ति को पारिवारिक संपत्ति का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही दिन दोगुनी रात चौगुनी व्यापार में वृद्धि होती है।
वहीं, वैवाहिक जीवन की बात करें तो यह काफी अच्छा भाव नहीं होता है। सप्तम भाव में शनि होने से वैवाहिक जीवन तनाव से भरा हुआ होगा। ऐसे में छोटी-छोटी बातों पर अनबन होना शुरू हो जाएगा। लेकिन अगर शनि सप्तम भाव में नीच राशि में होगा, तो कामांध होकर व्यक्ति को विचित्र रिश्तों में भी बांध देता है। वहीं जो लोग अविवाहित है उन्हें भी विवाह में देरी हो सकती है।
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