शाही जलेब के साथ अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव संपन्न
राज्यपाल उर्मिला सिंह ने कहा कि मेले एवं त्योहार प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं और इनका संरक्षण सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्सवों के आयोजन में हमें समृद्ध परंपराओं की झलक देखने को मिलती है। इससे भाईचारा व एकता भी सुदृढ़ होती है। इनके आयोजन से युवा पीढ़ी को अपनी वैभवशाली संस्कृति की जा
मंडी। मंडी। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेले में शिवरात्रि महोत्सव की तीसरी व आखिरी शाही जलेब देव छांजणू व छमाहूं के नेतृत्व में वीरवार को निकली। आखिरी जलेब के साथ ही शिवरात्रि महोत्सव भी संपन्न हो गया।
शाही जलेब में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल उर्मिला सिंह ने भाग लिया। शाही जलेब निकलने से पहले राज्यपाल उर्मिला सिंह ने अराध्य देव राज माधवराय के मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद बाबा भूतनाथ मंदिर जाकर पूजा की। दोनों जगह पूजा करने के बाद उन्होंने शाही जलेब में भाग लिया। शाही जलेब अराध्य देव राज माधव राय के मंदिर से निकली जो चौहाटा होकर समखेतर बाजार से घूमती हुई दोबारा चौहाटा पहुंची। जहां से राज्यपाल उर्मिला सिंह ने जलेब में शिरकत की। जलेब में अराध्य देव राज माधो राय की पालकी संग अन्य देवी-देवता पड्डल पहुंचे।
राज माधव राय ने देवी-देवताओं के साथ की मिलनी-
शिवरात्रि महोत्सव के आगाज पर सभी देवी-देवताओं ने अराध्य देव राज माधव राय के दरबार में जाकर हाजिरी भरी थी। मगर शिवरात्रि महोत्सव के समापन पर राज माधव राय ने चौहाटा जातर के दौरान देवी-देवताओं से मिलनी की और उन्हें विदाई दी। इसके लिए राज माधव राय अपनी पालकी पर विराजमान होकर चौहटा पहुंचे और देवी-देवताओं को विदाई दी।
चौहाटा जातर के दौरान सभी देवी-देवता मंडी शहर के मुख्य बाजार चौहाटा पर विराजमान होते हैं और यहीं पर राज माधव राय पहुंचे और उन्होंने देवी-देवताओं के बीच जाकर उन्हें विदा किया।
देव कमरूनाग ने पुलिस पहरे में दिए दर्शन-चौहाटा जातर के समय चानणी परिसर में विराजमान देव कमरूनाग के दर्शन पुलिस पहरे में हुए। देव कमरूनाग के दर्शनों के लिए भीड़ उमड़ी रही। शिवरात्रि महोत्सव के दौरान देव कमरूनाग टारना मंदिर में ही विराजमान रहते हैं। मगर चौहाटा जातर के दौरान देव कमरूनाग शहर में पहुंचते हैं। मगर यहां भी देवता अन्य देवी-देवताओं के साथ नहीं बैठता है। देव कमरूनाग सेरी चानणी परिसर में ही विराजमान होते हैं। जहां वीरवार को देवता दर्शनों के लिए कुछ समय बैठे।
बेड़े में उमड़ी भीड़-शिवरात्रि समापन पर देवी-देवताओं के दर्शनों के लिए खूब भीड़ उमड़ी। मान्यता है कि बेड़े में मुख्य देवी-देवता ठहरते हैं। जिसका कारण यह बेड़ा राज कुल देवता का मंदिर होने भी बताया जाता है। यहां नरोल देवियों सहित अन्य प्रमुख देवताओं के दर्शनों के लिए भीड़ जुटी रही।
मंडी के सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में हिस्सा लेने आए देवी-देवता वीरवार को चौहटा की जातर के बाद अपने देवालओं को लौट गए। सात दिन तक जिला भर के देवी-देवताओं के आने से छोटी काशी देवमयी बन गई थी। देवताओं के जाने से मंडी नगर में एक उदासी का आलम है। जनपद के देवता साल में एक बार शिवरात्रि के दौरान मंडी वासियों के मेहमान बनकर आते हैं। ढोल नगाड़ों, करनाल, शहनाई और रणसिंगों के समवेत स्वरों से मंडी शहर गुंजायमान हो उठता है। देवताओं के अपने देवालओं को लौटते ही सब सूना-सूना सा लगने लगता है। देवताओं के बिना जातर का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। वीरवार को चौहटा की जातर में देवताओं का दरबार सजा तो भारी भीड़ उनके दर्शनों के लिए उमड़ पड़ी। अपने परिजनों की तरह देवी-देवता भी एक दूसरे से मिलकर एक साल के लिए जुदा हुए। अगली साल फिर मिलेंगे इस वादे के साथ जनपद के देवी-देवता जुदा हुए। जनपद के बड़ादेव कमरूनाग भी आठ दिनों के बाद टारना मंदिर का अपना आसन छोड़ कर देवी-देवताओं को विदा करने के लिए चौहटा की जातर में आए। बड़ादेव ने कुछ देर के लिए सेरी चानणी की पौड़ियों में अपना आसन जमाया तो उनके दर्शनार्थ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। बड़ादेओ से मिलकर देवता वापस अपने-अपने देवालओं (मूल स्थान) के लिए रवाना हो गए। मंडी शहर की खुशहाली और समृद्धि के लिए देव आदि ब्रह्म ने कार बांधी। देवता के गूर ने देवता के रथ के साथ शहर की परिक्रमा करते हुए नगर वासियों की सुख समृद्धि के लिए दुआ की।
इस दौरान देवता के देवलुओं ने जौ के आटे का गुलाल हवा में उछाल कर बुरी आत्माओं को दूर रहने का आह्वान किया। इससे पूर्व मेला कमेटी के अध्यक्ष उपायुक्त देवेश कुमार की ओर से राज राजेश्वरी के मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। चौहटा बाजार में मौजूद देवी देवताओं को चदरें और पूजा सामग्री भेंट करने के पश्चात देवी-देवता वापस लौट गए। एक सप्ताह तक मंडी शहर ढोल-नगाड़ों, शहनाई, करनाल और रणसिंगों के समवेत सवरों से गुंजायमान रहा। देवता के देवलू भी नाचते गाते हुए अपने देवता के साथ गांव लौट गए। मंडी शिवरात्रि महापर्व लोक देवताओं की उपस्थिति में लोकोत्सव का रूप ले लेता है।
राज्यपाल उर्मिला सिंह ने कहा कि मेले एवं त्योहार प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं और इनका संरक्षण सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्सवों के आयोजन में हमें समृद्ध परंपराओं की झलक देखने को मिलती है। इससे भाईचारा व एकता भी सुदृढ़ होती है।
इनके आयोजन से युवा पीढ़ी को अपनी वैभवशाली संस्कृति की जानकारी मिलती है। उर्मिला सिंह वीरवार को मंडी में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेले के समापन समारोह पर पड्डल मैदान में जनसमूह को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि हमारे देश के युवा सभी क्षेत्रों में प्रगति कर रहे हैं और युवा पीढ़ी आधुनिक परिप्रेक्ष्य के अनुरूप कार्य करती है, किंतु आधुनिकता व पुरातन परंपराओं के मध्य सामजस्य आवश्यक है, क्योंकि यह हमारी विशिष्ट संस्कृति की रीढ़ है। उर्मिला सिंह ने कहा कि देशभर में हिमाचल प्रदेश को भगवान शिव के निवास और समृद्ध देव संस्कृति के लिए जाना जाता है। इसकी झलक हिमाचल प्रदेश में आयोजित किए जाने वाले मेलों, त्योहारों व उत्सवों में देखने को मिलती है। उन्होंने महोत्सव में देवी-देवताओं को आमंत्रित करने के लिए शिवरात्रि मेला आयोजन समिति के प्रयासों की सराहना की। इससे पूर्व उर्मिला सिंह ने माधवराय मंदिर में पूजा-अर्चना की और समापन पर निकली पारंपरिक जलेब में भाग लिया। उन्होंने मेले की विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेतओं को सम्मानित भी किया। उपायुक्त एवं मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष देवेश कुमार ने उर्मिला सिंह का स्वागत किया। इस अवसर पर मंडलीय आयुक्त ओंकार शर्मा सहित कई गणमान्य उपस्थित थे।