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प्रतिकार यात्रा निकालना गलत

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरी गंगा में मूर्ति विसर्जन के लिए आंदोलित स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को झूठा कहते हैं। उन्होंने कहा कि संत-महात्माओं को नहीं बताया और अन्याय प्रतिकार यात्रा निकाल दी। यात्रा गलत थी। संतों को कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे शांति व्यवस्था में

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2015 10:03 AM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2015 10:05 AM (IST)
प्रतिकार यात्रा निकालना गलत

वाराणसी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरी गंगा में मूर्ति विसर्जन के लिए आंदोलित स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को झूठा कहते हैं। उन्होंने कहा कि संत-महात्माओं को नहीं बताया और अन्याय प्रतिकार यात्रा निकाल दी। यात्रा गलत थी। संतों को कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे शांति व्यवस्था में खलल पड़े।

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स्वामी नरेंद्र गिरी इलाहाबाद स्थित बाघम्बरी मठ व श्री लेटे हनुमान मंदिर के महंत हैं। वह रविवार को अचानक काशी पहुंचे। मीडिया से कहा कि 5 अक्टूबर को प्रतिकार यात्रा के लिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अखाड़ा परिषद ही नहीं शंकराचार्य स्वरूपानंद को भी नहीं बताया। यह यात्रा पूरी तरह राजनीतिक थी। राजनीतिक दल मूर्ति विसर्जन के नाम पर अपना हित साध रहे हैं। संतों को राजनीतिज्ञों के झांसे में नहीं आना चाहिए। इतने बड़े पद पर बैठे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कोई बात भी नहीं हुई। नागा साधुओं को नहीं आने पर कहा कि वे जरा-जरा सी बात पर आंदोलित नहीं होते।
गंगा अस्थि विसर्जन के लिए, मूर्ति नहीं :
स्वामी नरेंद्र का कहना है कि गंगा का पृथ्वी पर अवतरण अस्थि विसर्जन के लिए हुआ। गंगा में मूर्ति विसर्जन की कोई परंपरा नहीं है। नदियों में मूर्ति विसर्जन न करने का संतों ने नासिक कुंभ में सर्वसम्मति से निर्णय लिया है। इसी कारण गोदावरी में मूर्ति विसर्जन नहीं हुआ। न्यायालय के आदेश का हम सभी को पालन करना चाहिए।
विहिप के गलत कार्यों के साथ नहीं :
विश्व ङ्क्षहदू परिषद के मार्ग दर्शक मंडल में होने के बावजूद स्वामी नरेंद्र का कहना है किसी गलत कार्य का वह समर्थन नहीं करते। विहिप के लोग साथ बैठते, कोई निर्णय लेते तो ठीक रहता। कुछ लोगों ने खुद से गंगा में मूर्ति विसर्जन पर रोक का विरोध किया और प्रतिकार यात्रा में शामिल हो गये। कहा हम शंकराचार्य से कहेंगे कि अब बहुत हो गया, आगे से कुछ न हो।

यूपी सरकार सबसे धर्म परायण
स्वामी नरेंद्र ने कहा कि उत्तर प्रदेश संतों के लिए सर्वाधिक उचित स्थान है। गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार में तो संतों को मुश्किल हो गयी है। गोमती हेतु शिवपाल ने जो किया वह सराहनीय है। मुलायम परिवार सभी धर्म का सम्मान करता है।


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