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गणेशोत्सव में विर्सजन का भी है विशेष महत्व याद रखें ये बातें

गणेश चतुर्थी के साथ ही गणेश स्थापना का सिलसिला शुरू हो जाता है आैर फिर धूमधाम से उनका विसर्जन होता है। आइये जाने इसकी कुछ खास बातें।

By Molly SethEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 11:38 AM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 10:03 AM (IST)
गणेशोत्सव में विर्सजन का भी है विशेष महत्व याद रखें ये बातें
गणेशोत्सव में विर्सजन का भी है विशेष महत्व याद रखें ये बातें

कैसे होता है व‍िसर्जन 

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गणेश महोत्‍सव की शुरुआत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से होती है। इस बार ये गणेश चतुर्थी 13 सितंबर 2018 से प्रारंभ हुआ था और अब अंनत चतुर्दशी यानि 23 सितंबर 2018 तक चलेगा। यानि गणेश महोत्‍सव 10 दिन का होता है आैर 11वें दिन विर्सजन होता है। इसके अतिरिक्त भी विर्सजन के कर्इ पायदान होते हैं, जैसे इस दौरान कुछ लोग डेढ़ द‍िन, 3 द‍ि‍न, 5 द‍िन 7 द‍िन, 9 द‍िन  आैर 11 द‍िन के ल‍िए गणेश प्रत‍िमा की स्‍थापना करते हैं, आैर उसके बाद विर्सजन कर देते हैं। इसी के चलते उत्सव के साथ ही गणेश व‍िसर्जन का स‍िलस‍िला भी जारी हो जाता है। खास बात तो यह है क‍ि जि‍स तरह से स्‍थापना व‍िध‍िवत होती है उसी तरह व‍िसर्जन भी व‍िधि‍वत ही होता है। 

विर्सजन की पूजा 

व‍िसर्जन वाले द‍िन स्‍थाप‍ित गणेश जी की प्रत‍िमा को एक नई चौकी पर बिठाया जाता है। इसके बाद गणपति की व‍िध‍िवत जल, सुपारी, पान, जनेऊ, दूर्वा, नारियल, लाल चंदन, धूप और अगरबत्ती से पूजा, अर्चना की जाती है। फिर मोदक का भोग लगाकर गणपत‍ि की लौंग, कपूर और बाती से आरती करते हैं। इसके बाद गणपति को प्रणाम करके भजन, कीर्तन गाते हुए जुलूस के रूप में उनके व‍िजर्सन के ल‍िए प्रस्‍थान किया जाता है। 

गलती से भी न करें ये काम

गणेश जी के व‍िसर्जन में पूजा के साथ कुछ और खास बातों का ध्‍यान रखना जरूरी होता है। गणेश जी को हंसी खुशी व‍िदाई दें। इस दौरान काले कपड़े पहन कर न जाएं। क‍िसी खास तरह के नशे आद‍ि का सेवन न करें। व‍िसर्जन के दौरान क्रोध आद‍ि करने से बचें। इतना ही नहीं अपनी वाणी पर पूर्ण नियंत्रण बनाए रखें। मान्‍यता है क‍ि जो लोग ऐसी हरकते करते हैं उनसे भगवान गजानन अप्रसन्‍न हो जाते हैं।

विदा से पूर्व गणपति से करें खास अनुरोध 

आदिपूज्य भगवान लंबोदर, व्रकतुंड, विघ्नहर्ता, मंगलमूर्ति जैसे नामों से पुकारे जाने वाले गणेश जी से व‍िसर्जन के पहले हे श्री गणेश अगले साल आप पुन जल्दी आइयेगा ये कहना बिल्कुल ना भूलें। महाराष्ट्र के इस प्रमुख उत्सव में यही बात कुछ इस अंदाज में कही जाती है 'गणपति बप्पा मोरिया, कुल्चा वर्षि लोखरिया'। शास्‍त्रों के मुताब‍िक भी को क‍िसी भी व‍िदाई देते समय उसको दोबारा आने को कहना जरूरी होता है। इससे गणपत‍ि अपने भक्‍तों से प्रसन्‍न होते हैं। अनजाने में हुई गल्‍त‍ियों से क्षमा करने के के साथ ही उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। 


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